Buxar Museum: बक्सर का इतिहास बोलेगा मूर्तियों की जुबानी, सीताराम उपाध्याय संग्रहालय में सजीव होंगी चौसा की गुप्तकालीन टेराकोटा मूर्तियां

Ancient terracotta sculptures from Chausa to be displayed at Sitaram Upadhyay Buxar Museum

Buxar Museum: बिहार के बक्सर जिले में स्थित सीताराम उपाध्याय संग्रहालय जल्द ही देशभर के कला प्रेमियों और इतिहासकारों के लिए एक नया आकर्षण बन सकता है। चौसा गढ़ से खुदाई के दौरान प्राप्त टेराकोटा की दुर्लभ मूर्तियां, जिन्हें गुप्तकाल का बताया जा रहा है, अब यहां एक विशेष गैलरी में प्रदर्शित की जाएंगी। यह नई पहल न केवल क्षेत्र की विरासत को संजोएगी बल्कि Buxar heritage spot के रूप में इसकी पहचान को और मजबूती देगी।

गुप्तकाल की झलकियां: रामायण से लेकर शिव-पार्वती विवाह तक

2011 से 2014 के बीच पुरातत्व विभाग बिहार द्वारा की गई खुदाई में मिली चौसा की टेराकोटा मूर्तियां भारतीय कला और संस्कृति की अद्भुत मिसाल हैं। इतिहासकारों उमेश चंद्र द्विवेदी और जलज कुमार तिवारी ने इन मूर्तियों का विस्तृत अध्ययन किया है। इनमें रामायण के प्रसिद्ध दृश्य—जैसे सीता हरण, राम-लक्ष्मण युद्ध, हनुमान और सुग्रीव की छवियां प्रमुख हैं।

‘कल्याण सुंदर’ — देश की सबसे प्राचीन शिव-पार्वती विवाह प्रतिमा

सबसे महत्वपूर्ण प्रतिमा है ‘कल्याण सुंदर’, जिसमें शिव और पार्वती के विवाह को दर्शाया गया है। यह भारत में इस विषय पर बनी सबसे प्राचीन टेराकोटा मूर्ति मानी जाती है।

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सीताराम उपाध्याय संग्रहालय: इतिहास का जीवंत दस्तावेज

बक्सर के रामरेखा घाट के पास स्थित सीताराम उपाध्याय संग्रहालय (Sitaram Upadhyay Museum) की स्थापना 1979 में हुई थी। बाद में 1993 में इसका नया भवन तैयार हुआ। यहां तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सातवीं शताब्दी ईस्वी तक की मूर्तियां, पांडुलिपियां, सिक्के और अन्य पुरावशेष संग्रहीत हैं।

1500 से अधिक प्राचीन अवशेषों का अनमोल संग्रह

यह संग्रहालय अब तक लगभग 1500 से अधिक ऐतिहासिक वस्तुओं का भंडार बन चुका है। भगवान विष्णु, शिव और नंदी की मूर्तियां दर्शकों को वैष्णव और शैव परंपरा से जोड़ती हैं।

जागरूकता की ज़रूरत, मात्र 10-12 दर्शक आते हैं इस ऐतिहासिक स्थल पर

हालांकि संग्रहालय के महत्व के बावजूद, प्रतिदिन केवल 10-12 दर्शक ही यहां पहुंचते हैं। स्थानीय शिक्षक अभिजीत कुमार कहते हैं कि “यहां के लोग ही इस ऐतिहासिक धरोहर से अनभिज्ञ हैं।”

संग्रहालय प्रशासन, जिसकी अगुवाई शिव कुमार मिश्रा कर रहे हैं, ने जागरूकता बढ़ाने के लिए कई आयोजन किए हैं। वर्ल्ड हेरिटेज डे और इंटरनेशनल म्यूज़ियम डे पर फोटो प्रदर्शनी, प्रतियोगिताएं और संगोष्ठियां आयोजित की गईं।

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अंतरराष्ट्रीय आकर्षण का केंद्र बनेंगी चौसा की टेराकोटा मूर्तियां

बक्सर का यह संग्रहालय सिर्फ मूर्तियों का घर नहीं, बल्कि Buxar heritage spot के रूप में उभर रहा है। आने वाले समय में जब चौसा की टेराकोटा मूर्तियां यहां प्रदर्शित की जाएंगी, तो यह न केवल इतिहास प्रेमियों को आकर्षित करेगा, बल्कि क्षेत्र में सांस्कृतिक पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

एक बार जरूर देखें Buxar Museum, जहां इतिहास जीवंत होता है

Buxar museum और सीताराम उपाध्याय संग्रहालय अब केवल किताबों तक सीमित इतिहास नहीं रह गए हैं। ये स्थल अब जीवंत रूप में हमारे सामने हैं, जहां कला, संस्कृति और इतिहास मिलकर भारत की गौरवशाली परंपरा को दर्शाते हैं। अगर आप भी प्राचीन भारत की आत्मा को महसूस करना चाहते हैं, तो इस संग्रहालय की यात्रा अवश्य करें।

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