प्रयागराज से पटना तक गंगा नदी का कहर, लाखों लोग प्रभावित, टूट सकता है 1978 का रिकॉर्ड
Ganga Flood 2025: उत्तर भारत इन दिनों भीषण आपदा से जूझ रहा है। उफनती गंगा नदी ने उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक लाखों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। प्रयागराज में उफान पर बह रही गंगा और यमुना का पानी अब मिर्जापुर, वाराणसी, बलिया होते हुए पटना तक पहुंचकर तबाही मचा रहा है। केन्द्रीय जल आयोग की चेतावनी के मुताबिक, इस बार वाराणसी में 1978 की भयावह बाढ़ का रिकॉर्ड भी टूट सकता है।
Ganga Flood 2025: प्रयागराज में गंगा और यमुना का कहर
प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शनिवार सुबह तक गंगा का जलस्तर 84.96 मीटर और यमुना का 85.06 मीटर दर्ज किया गया। इससे करीब तीन लाख लोग प्रभावित हो चुके हैं और चालीस हजार से ज्यादा लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच चुके हैं। शहर के निचले इलाकों में पानी भरने से आम जीवन पूरी तरह ठप हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि Ganga Flood 2025 का मुख्य कारण सिर्फ प्रयागराज की बारिश नहीं है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई भारी बारिश से चंबल, बेतवा और केन नदियां उफान पर हैं। इनका पानी यमुना में पहुंचा और फिर गंगा में मिलकर जलस्तर तेजी से बढ़ गया।
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वाराणसी और बलिया में डूबे घाट और खेत
वाराणसी में नदी का जलस्तर खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच गया है। घाटों और आसपास के निचले इलाकों में पानी भर गया है। धार्मिक अनुष्ठान और दैनिक पूजा-पाठ प्रभावित हो रहे हैं। बलिया में स्थिति और भयावह हो चुकी है। यहां गंगा नदी खतरे के निशान से लगभग एक मीटर ऊपर बह रही है। किनारे बसे गांव जलमग्न हो चुके हैं और किसानों की हजारों हेक्टेयर फसलें पानी में डूब गई हैं।
बिहार में गंगा का बढ़ता जलस्तर, पटना पर मंडराया खतरा
उत्तर प्रदेश से निकलकर गंगा जब बिहार पहुंचती है, तो उसमें घाघरा, सोन और गंडक जैसी नदियां मिलकर जलस्तर और बढ़ा देती हैं। राजधानी पटना में गंगा खतरे के निशान के बेहद करीब पहुंच गई है। पटना और आसपास के गांवों में बाढ़ का पानी सड़कों और घरों में घुस गया है। यातायात बाधित हो चुका है और लोग नावों के सहारे यात्रा करने को मजबूर हैं।
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बहरहाल उत्तर प्रदेश और बिहार में आई भीषण बाढ़ ने लाखों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। हजारों परिवार अपने घर छोड़कर सरकारी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं, जहां बुनियादी सुविधाओं की कमी बनी हुई है। किसानों की महीनों की मेहनत पानी में बह गई और धान, मक्का जैसी फसलें पूरी तरह चौपट हो गईं। बच्चों और बुजुर्गों को डायरिया, बुखार और त्वचा रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। गांवों में पीने के स्वच्छ पानी और दवाइयों की भारी किल्लत से स्थिति और गंभीर हो गई है।
राहत और बचाव कार्यों में जुटा प्रशासन
प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी करते हुए प्रभावित इलाकों में नाव और मोटरबोट तैनात की हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। राहत शिविरों में खाने-पीने और रहने का इंतजाम किया गया है। इसके उपरांत स्वास्थ्य विभाग ने भी गांव-गांव मेडिकल टीमें भेजी हैं ताकि बीमारियों पर काबू पाया जा सके। नदियों के किनारे चौकियां स्थापित कर अधिकारियों को तैनात किया गया है।
क्या है 1978 की भयावह बाढ़ की यादें
वर्ष 1978 की बाढ़ आज भी बुजुर्गों के जेहन में ताजा है। उस दौर में न फोन थे, न बिजली। लोग एक-दूसरे की खबर तक पाने के लिए तरस जाते थे। खाने और पीने का पानी तक मुश्किल से मिल पाता था। कई जगह हेलीकॉप्टर से मकानों की छतों पर खाना पहुंचाया जाता था। उस समय गंगा नदी का पानी सीधे गांवों तक पहुंच गया था। हजारों मवेशी बह गए और खेती पूरी तरह चौपट हो गई। बाढ़ का पानी उतरने के बाद गंदगी और बीमारियों ने लोगों को घेर लिया। फिर भी गांवों ने एक-दूसरे की मदद कर कठिन दौर का सामना किया।
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आने वाले दिनों में और बिगड़ सकते हैं हालात
Ganga Flood 2025 को लेकर जल आयोग के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि बारिश का दौर ऐसे ही जारी रहा तो हालात और भयावह हो सकते हैं, खासकर वाराणसी और पटना जैसे शहरों में। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर चले जाएं और किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न दें। वर्तमान में लाखों लोग प्रभावित हैं और राहत शिविरों में रह रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि असली राहत तभी मिलेगी जब गंगा नदी का जलस्तर घटेगा। ऐसे में जनता को धैर्य और सतर्कता बनाए रखना बेहद जरूरी है।