Chhath Puja 2024: नमस्कार दोस्तों सनातन धर्म में मनाए जाने वाले बड़े लोक धार्मिक पर्व छठ के चलते इन दिनों बाजार में कई वस्तुओं की बिक्री में तेजी आई है। अब जैसा कि छठ महापर्व के दौरान गन्ना, सुपेली और दउरा ये कुछ ऐसे चीज है जिनका छठ महापर्व (Chhath Puja 2024) में होना बेहद आवश्यक है। मगर बता दें कि इन सब के अलावा एक और ऐसी सुद्ध चीज है जिसके बिक्री में छठ के मद्देनजर काफी इजाफा देखने को मिला है और इसके बिना छठ महापर्व मानो अधूरा सा रह जाता है। अब सायद कुछ लोगों को उस वस्तु का अंदाजा ना हो ऐसे में हम बता दे की वह चीज आम की लकड़ी है।
सनातन धर्म में बेहद शुद्ध वृक्ष माना जाता है आम का पेड़
बता दे की महापर्व छठ के मद्देनजर आम की लकड़ीयों के बिक्री में काफी इजाफा देखने को मिल रहा है। दरसल पंडितों और विद्वानों के अनुसार सनातन धर्म में आम के पेड़ को बेहद शुद्ध वृक्ष माना जाता है। जिस वजह से तमाम तरह के पूजा, अनुष्ठान और हवन में आम के दातुन, आम की लकड़ी और आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है। और चुंकि छठ पर्व, बेहद सफाई और शुद्धता के साथ मनाया जाने वाला पर्व है, ऐसे में शुद्धता का ख्याल रखते हुवे इस पर्व (Chhath Puja 2024) में लोग आम की लकड़ी बतौर जलावन इस्तेमाल करते है।
आम के लकड़ी पर बनाया जाता है प्रसाद
मान्यताओं के मुताबिक भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए महिलाएं, मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर कसार और ठेकुआ बनाती हैं। बता दें कि भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद से एक दिन पहले भी आम के लकड़ी पर ही प्रसाद बनाया जाता है। जिस दौरान महिलाएं मिट्टी के चुल्हे में आम कि लकड़ी को जलाकर खीर बनाती हैं, जिसे वह स्वयं और घर परिवार के बाकी सदस्यों के बीच में प्रसाद के रूप में वितरण करती हैं।
₹5 प्रति किलो का इजाफा
अब चुंकि छठ महापर्व (Chhath Puja 2024) के दौरान आम के लकड़ीयों की अहमियत और साथ ही जरूरत काफी ज्यादा बढ़ जाती है, ऐसे में साल दर साल बढ़ती महंगाई को देखते हुए विक्रेताओं ने भी आम के लड़कियों की कीमत में पिछले साल के मुकाबले इस साल इजाफा किया है। वहीं बिहार के बक्सर जिले में दुकानदारों से की गई वार्ता में पता चला कि इस वर्ष आम की लकड़ी की कीमतों में पिछले वर्ष के मुकाबले ₹5 प्रति किलो का इजाफा किया गया है।
क्या है बक्सर के विक्रेताओं का कहना
बक्सर के विक्रेताओं का कहना है कि हम लकड़ीयों के छोटे दुकानदार हैं, ऐसे में सीधे तौर पर सप्लायर हमें लकड़ी देने को तैयार नहीं होते हैं और अगर होते भी हैं तो हमसे कीमत ज्यादा वसूली जाती है। जिस वजह से हमें इन लड़कियों को इकट्ठा करने के लिए लकड़ी मिलो से खरीदारी करना पड़ता है। इसके बाद उसे उन मिलो से अपने दुकानों पर पहुंचने में साधन का खर्च भी हमें ही उठना होता है।
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ऐसे में इन सभी खर्च को जोड़ने के बाद हर वर्ष बढ़ती महंगाई के साथ लड़कियों की कीमत का बढ़ना भी मामूली सा बात है। बक्सर के एक दुकानदार का कहना है कि बीते वर्ष यानी साल 2023 में आम की लड़कि ₹10 प्रति किलो के दर से बिकी थी जबकि इस वर्ष सभी लागत और मुनाफे को देखते हुए ₹15 प्रति किलो का दर निर्धारित किया गया है।