Milap Hotel Crime: बक्सर की शांत फिजाओं को शुक्रवार की रात एक शर्मनाक वारदात ने झकझोर दिया। Milap Hotel crime का यह मामला तब सामने आया जब एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म की कोशिश की गई। पीड़िता को समय रहते पुलिस ने बचा लिया, जिससे बड़ी अनहोनी टल गई। यह घटना न सिर्फ बक्सर में दुष्कर्म से जुड़ी एक गंभीर मिसाल है, बल्कि यह होटल व्यवसाय और सामाजिक जिम्मेदारी पर भी गंभीर प्रश्न उठाती है।
Milap Hotel Crime Detail: कोचस से डुमरांव जा रही थी किशोरी
पीड़िता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि वह डुमरांव में एक वीडियो शूट के लिए कोचस से निकली थी। बक्सर पहुंचने पर उसे शूट कैंसिल होने की जानकारी मिली, जिससे वह असमंजस में पड़ गई। तभी बस में ही एक बुजुर्ग व्यक्ति हरिनरायण राम मिला, जिसने उसे मिलाप होटल में रुकने का सुझाव दिया। हरिनरायण का दावा था कि उसका बेटा उसी होटल में काम करता है और वह वहां सुरक्षित ठहर सकती है। अनजान शहर में रुकने के विकल्प के अभाव में लड़की ने इस प्रस्ताव को मान लिया।
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होटल पहुंचते ही बदल गया माहौल
होटल में हरिनरायण और उसका साथी रमेशर राम पहले से मौजूद थे। दोनों ने शराब पी और किशोरी को कोल्ड ड्रिंक में कुछ मिलाकर पिला दिया। नशे की हालत में लड़की के साथ नाबालिग से अपराध की कोशिश की गई। मगर लड़की ने साहस दिखाते हुए पूरी ताकत से विरोध किया, जिससे उसका सिर भी फट गया।
इस दरिंदगी की जानकारी होटल संचालक सतीश पांडेय को हुई, लेकिन सहायता करने के बजाय उसने लड़की को ऊपर के कमरे में बंद कर दिया। बंद कमरे में किशोरी ने खिड़की खोलकर चीखना शुरू किया। आस-पास के लोगों ने आवाजें सुनकर 112 पर कॉल किया। बक्सर नगर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और लड़की को सुरक्षित निकाला।
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पुलिस अधिकारी से मिली जानकारी: मौके से कामवासना बढ़ाने की गोलियां बरामद
पुलिस ने हरिनरायण राम, रमेशर राम और होटल संचालक सतीश पांडेय को गिरफ्तार किया। नगर कोतवाल मनोज कुमार के अनुसार, दो आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जमानत पर रिहा किया गया है, लेकिन सभी के खिलाफ दुष्कर्म के प्रयास की FIR दर्ज हो चुकी है। इन्हें आगे फिर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। पुलिस ने मौके से कामवासना बढ़ाने वाली गोलियां भी बरामद कीं, जो इस पूरी साजिश को और गहरा बनाती हैं।
समाज और सिस्टम को मिलकर रोकने होंगे बक्सर में दुष्कर्म जैसे अपराध
मिलाप होटल दुष्कर्म (Milap Hotel crime) जैसी घटनाएं सिर्फ कानूनी विफलता नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना की कमी भी उजागर करती हैं। बक्सर की यह घटना बताती है कि कैसे एक नाबालिग लड़की, जो सिर्फ अपने सपनों को साकार करने निकली थी, शिकार बनते-बनते बच गई। पुलिस की तत्परता और आम जनता की सजगता ने एक बड़ी अनहोनी को रोका, लेकिन क्या यह काफी है?
जब तक समाज अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएगा और हर व्यक्ति गलत को गलत कहने की हिम्मत नहीं दिखाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं बार-बार होती रहेंगी। बदलाव कानून से नहीं, सोच से आता है। इस घटना से सबक लेने की जरूरत है — ताकि आने वाले कल में कोई भी किशोरी इस तरह की घिनौनी मानसिकता का शिकार न हो।
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