Ahiyapur Murder: आख़िर क्यों हुआ अहियापुर में मौत का खेल? जानिए एक शांत गांव का खूनी सच
Ahiyapur News: शनिवार की सुबह बक्सर जिले के अहियापुर गांव के लिए कभी न भूल पाने वाली सुबह बन गई। लगभग पांच बजे का समय था, गांव धीरे-धीरे जाग रहा था, कुछ लोग चबूतरे पर बैठे बातचीत कर रहे थे। तभी अचानक गोलियों की आवाज़ ने सब कुछ बदल दिया।
कुछ ही पलों में तीन लोग ज़िंदगी की जंग हार गए – विनोद सिंह, वीरेंद्र यादव और सुनील सिंह। वहीं दो अन्य – अमित कुमार उर्फ मंटू और पूजन सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें आनन-फानन में वाराणसी ट्रामा सेंटर रेफर किया गया है।
Ahiyapur Golikand: क्या एक बालू की दुकान थी 3 जिंदगीयो से ज्यादा जरूरी?
Ahiyapur Golikand में पुलिस जांच में जो बातें सामने आईं, वे और भी चौंकाने वाली हैं। बताया जा रहा है कि गांव के पास नहर किनारे एक बालू की दुकान को लेकर शुक्रवार शाम विवाद हुआ था। इस विवाद में पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष के पति मनोज यादव का नाम सामने आ रहा है।
दरसल शनिवार सुबह, जब मृतक पक्ष के लोग रोज़ की तरह चबूतरे पर बैठे थे, तभी चार पहिया वाहन से आए हमलावरों ने बिना चेतावनी अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। एक के बाद एक गोलियां चलीं और तीन परिवार हमेशा के लिए उजड़ गए।
तो क्या वाकई सिर्फ बालू की दुकान इस हद तक हिंसा की वजह बन गई? या इसके पीछे कोई और गहरी साजिश, सत्ता की भूख और दबंगई का खेल चल रहा था?
Ahiyapur Murder: लाशों के साथ सड़क पर उतरे लोग
गांव में जब तीन लोगों की लाशें पहुंचीं, तो सन्नाटा टूट गया। गुस्से से भरे ग्रामीणों ने धनसोई-जलहरा नहर मार्ग पर शवों को रखकर सड़क जाम कर दी। उनका कहना साफ था – जब तक जिले के बड़े पुलिस अफसर खुद मौके पर नहीं आएंगे, तब तक पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे।
घटनास्थल पर भारी भीड़ जमा हो गई। रोते-बिलखते परिजन, गुस्साए ग्रामीण और तनाव से घिरे पुलिसकर्मी – सब कुछ एक बदले की आग में जलते गांव की तस्वीर पेश कर रहा था।
पुलिस पर उठे सवाल – अभी तक क्यों नहीं हुई गिरफ्तारी?
घटना के बाद पुलिस अधीक्षक शुभम आर्य और डुमरांव विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह मौके पर पहुंचे। खबर लिखने तक शाहाबाद रेंज के डीआईजी सत्य प्रकाश भी पहुंचने वाले थे। इसके अलावा पुलिस ने हमलावरों की गाड़ी जब्त कर ली है और जांच शुरू कर दी है।
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लेकिन सवाल उठता है – Ahiyapur Golikand अब तक किसी की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई? स्थानीय लोग साफ तौर पर कह रहे हैं कि मनोज यादव और उसके साथियों ने ही गोलीबारी की, फिर भी पुलिस अब तक सिर्फ “जांच कर रही है” कहकर बात टाल रही है।
ऐसे में अब क्या वजह है कि जिन पर नामजद आरोप हैं, वे अब भी खुलेआम घूम रहे हैं? क्या राजनीतिक दबाव पुलिस की कार्रवाई को रोक रहा है? हालांकि हमेशा की तरह प्रशासन पर लोगों की पुरी उम्मीद टीकी हुई है और जल्द से जल्द पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने की मांग की जा रही है।
क्या कोई और गांव बनेगा अगला अहियापुर?
Ahiyapur में घटित यह घटना सिर्फ तीन लोगों की हत्या नहीं है, बल्कि समाज और कानून व्यवस्था की उस विफलता की कहानी है जहां विवाद अब बातों से नहीं, बंदूकों से सुलझाए जाते हैं। जहां राजनीति और अपराध का मेल इतना गहरा हो चुका है कि न्याय की राह धुंधली हो गई है।
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ग्रामीणों की आंखों में डर के साथ-साथ गुस्सा भी है। वे अब इंसाफ चाहते हैं, और यह चाहते हैं कि यह मामला सिर्फ एक और “अनसुलझा केस” बनकर फाइलों में दब न जाए।
जब तक जवाब नहीं मिलते, उठते रहेंगे सवाल
अहियापुर की यह त्रासदी हम सभी से सवाल कर रही है – कब तक सत्ता की लड़ाई में निर्दोष लोग मारे जाते रहेंगे? क्या किसी की जान इतनी सस्ती हो गई है कि गोली चलाना आम बात बन गई है? क्या प्रशासन वाकई दोषियों को पकड़ पाएगा या फिर एक बार फिर रसूखदारों को कानून से ऊपर माना जाएगा?Ahiyapur की यह घटना न्याय की मांग नहीं, न्याय की पुकार है।