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100 साल बाद इस शिवरात्रि बन रहा दुर्लभ गजकेसरी योग, जानिए किन राशियों को मिलेगा लाभ, कब करें जलाभिषेक और क्या है सही पूजा विधि

Sawan Shivratri 2025 Gajkesari Yog

Sawan Shivratri 2025: इस वर्ष सावन महीने मे पड़ने वाली शिवरात्रि केवल आध्यात्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बेहद खास रहने वाली है। 23 जुलाई 2025 को आने वाली यह शिवरात्रि एक दुर्लभ गजकेसरी योग के साथ आ रही है, जो करीब 100 वर्षों बाद इसी दिन बन रहा है। यह योग केवल भगवान शिव की कृपा पाने का ही नहीं, बल्कि भाग्य, समृद्धि और सम्मान का द्वार खोलने वाला भी माना जा रहा है।

क्या है गजकेसरी योग और इसका महत्व?

गजकेसरी योग एक अत्यंत शुभ और प्रभावशाली ज्योतिषीय योग है, जो तब बनता है जब चंद्रमा केंद्र यानी लग्न, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में स्थित हो और बृहस्पति उससे कोणीय रूप में चौथे या दसवें स्थान पर हो। यह योग व्यक्ति को असाधारण बुद्धिमत्ता, कीर्ति, सामाजिक प्रतिष्ठा और आर्थिक समृद्धि प्रदान करता है। माना जाता है कि ऐसा व्यक्ति जीवन में जल्दी सफलता पाता है और समाज में उसका विशेष सम्मान होता है। सावन शिवरात्रि 2025 पर यह योग बनना विशेष फलदायी है, जो कई राशियों के भाग्य को उज्जवल बना सकता है।
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किन राशियों पर पड़ेगा गजकेसरी योग का विशेष प्रभाव?

सावन शिवरात्रि 2025 पर बनने वाला दुर्लभ गजकेसरी योग कुछ खास राशियों के लिए बेहद शुभ संकेत लेकर आ रहा है। इन राशियों में सामील है:

वृषभ राशि

इस राशि में यह योग लग्न भाव में बन रहा है, जिससे आत्मविश्वास में गजब की वृद्धि होगी और पुराने अटके हुए धन की वापसी संभव है। साथ ही समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा और करियर में नई संभावनाएं उभरेंगी।

सिंह राशि

इस राशि के जातकों के लिए यह योग लाभ भाव में बन रहा है, जिससे नई आमदनी के रास्ते खुलेंगे, पुराने कानूनी विवाद खत्म होंगे और निवेश से बेहतर रिटर्न मिलेगा। मानसिक रूप से भी राहत महसूस होगी।

तुला राशि

इस राशि के लोगों के लिए यह योग भाग्य स्थान में बन रहा है, जिससे किस्मत का पूरा साथ मिलेगा। रुके हुए काम बनेंगे, करियर में प्रगति होगी और धार्मिक आयोजनों में भागीदारी से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा।

Sawan Shivratri 2025: सावन और शिवरात्रि का आध्यात्मिक महत्व

सावन का महीना हिन्दू धर्म में विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। यह माह वर्ष का सबसे पावन समय होता है, जब लाखों भक्त कांवड़ यात्रा पर निकलते हैं और विभिन्न शिव मंदिरों में गंगाजल अर्पित करते हैं। मान्यता है कि श्रावण मास में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव का व्रत करता है, विशेषकर शिवरात्रि पर, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख, शांति एवं समृद्धि का आगमन होता है।
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शिवरात्रि व्रत और पूजा की सही विधि

शिवरात्रि का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत पुण्यदायी माना गया है, और इसकी पूजा विधि का पालन करना बेहद आवश्यक होता है। इस दिन व्रती को ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद शिवलिंग का विधिपूर्वक अभिषेक करना चाहिए जिसमें जल, दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल का प्रयोग करें। इसके साथ ही शिवजी को बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल और चंदन अर्पित करें।

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पूजा के दौरान शिव के प्रिय मंत्रों का जाप करें जैसे पंचाक्षरी मंत्र “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र “ॐ त्र्यंबकं यजामहे…”। इस दिन रात्रि जागरण और चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि विधिवत व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और शिव कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है। यह दिन शिवभक्ति, साधना और आत्मशुद्धि का प्रतीक है, जो व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।

शिवरात्रि पूजा के लिए शुभ समय

सनातन परंपरा में चार प्रहर की पूजा का बड़ा महत्व है। आइए जानें चारों प्रहर के समय:

प्रहरपूजा का समय
पहला प्रहरशाम 7:17 से रात 9:53 तक
दूसरा प्रहररात 9:53 से 12:28 तक
तीसरा प्रहररात 12:28 से 3:03 तक
चौथा प्रहररात 3:03 से सुबह 5:38 तक

इन समयों पर की गई पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। इसके अलावा हमारे स्थानीय विद्वानों द्वारा प्राप्त जानकारी के मुताबीक, शिव को जल अर्पण करने का श्रेष्ठ समय 23 जुलाई 2025 की सुबह 4:39 बजे से आरंभ होगा और पूरे दिन तक रहेगा। इस दौरान भक्त अपने आराध्य भगवान को जल, दूध और बेलपत्र अर्पित कर सकते हैं।

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