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Ahiyapur Hatyakand: एक्शन में आई जिला प्रशासन, 18 नामजद पर केस, गिरफ्तारी के लिए दबिश जारी

Ahiyapur Hatyakand Police Action and Latest Achievement

Ahiyapur Hatyakand: बक्सर जिले के राजपुर थाना क्षेत्र स्थित अहियापुर गांव में शनिवार सुबह हुए तीन हत्याओं के मामले में पुलिस प्रशासन ने त्वरित और सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन हरकत में आया और डीएम अंशुल अग्रवाल तथा एसपी शुभम आर्य पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल की जांच की और ग्रामीणों से बातचीत कर स्थिति को काबू में लिया।

Ahiyapur Goli Kand: सुबह-सुबह गोलियों की तड़तड़ाहट से कांपा बक्सर का अहियापुर गांव, वर्चस्व की लड़ाई में 3 की मौत

Ahiyapur Hatyakand की गंभीरता को देखते हुए शाहाबाद रेंज के डीआईजी डॉ. सत्य प्रकाश स्वयं अहियापुर पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों के साथ बैठक कर सख्त निर्देश दिए कि दोषियों को हर हाल में जल्द गिरफ्तार किया जाए। DIG ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात करते हुए भरोसा दिलाया कि न्याय दिलाने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

Ahiyapur Hatyakand: पुलिस की कार्रवाई में अब तक की बड़ी उपलब्धियाँ

Ahiyapur Hatyakand के बाद पुलिस ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए घटनास्थल से दस खोखा (कारतूस के खाली खोल) बरामद किए हैं और मौके से एक सफारी वाहन को ज़ब्त किया गया है। इस मामले में पूर्व जिला परिषद पदाधिकारी समेत 18 नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। हालात की गंभीरता को देखते हुए गांव में भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है ताकि कोई अप्रिय घटना दोबारा न हो। पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है और जल्द गिरफ्तारी की उम्मीद है।

राजपुर थानाध्यक्ष संतोष कुमार “आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी”

राजपुर थानाध्यक्ष संतोष कुमार ने बताया कि मृतकों के परिजनों की ओर से पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि मनोज यादव और पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष संतोष यादव समेत 18 लोगों को नामजद किया गया है। साथ ही कई अज्ञात को भी प्राथमिकी में शामिल किया गया है। पुलिस टीम लगातार संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है और जल्द गिरफ्तारी की उम्मीद जताई गई है।

Ahiyapur Golikand: अहियापुर में बालू-गिट्टी के व्यापार बनी वर्चस्व की जंग

शनिवार सुबह करीब 5 बजे अहियापुर गांव में दो पक्षों के बीच गिट्टी-बालू के व्यवसाय को लेकर विवाद शुरू हुआ। पहले कहा-सुनी हुई, फिर लाठी-डंडे चले और आखिरकार एक पक्ष की ओर से गोलियां चलाई गईं।

3 की मौत, 2 घायल, गांव में पसरा सन्नाटा

Ahiyapur Golikand में तीन लोगों की जान चली गई जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। मृतकों की पहचान विनोद सिंह यादव, सुनील सिंह यादव और रविंद्र सिंह के रूप में हुई है। जिसमें विनोद और सुनील की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि रविंद्र सिंह की मौत इलाज के दौरान हुई। वही घायल लोगों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज बक्सर और वाराणसी के अस्पतालों में चल रहा है।

अहियापुर गाँव में पुलिस कर रही कैंप, स्थिति पर लगातार नजर

घटना (Ahiyapur Hatyakand) के बाद गांव में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। पुलिस ने एहतियात के तौर पर गांव में कैंप स्थापित कर दिया है और लगातार गश्त की जा रही है। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए अतिरिक्त फोर्स भी तैनात की गई है। इस खून-खराबे के बाद गांव में अफरा-तफरी मच गई। परिजनों की चीख-पुकार और ग्रामीणों के भयभीत चेहरों ने पूरे इलाके को दहला दिया।

लंबे समय से चला आ रहा था विवाद

ग्रामीणों का कहना है कि यह विवाद लंबे समय से चला आ रहा था, लेकिन हाल के दिनों में यह टकराव अधिक उग्र हो गया। इस घटना ने पंचायत स्तर की राजनीति और बढ़ते आपराधिक प्रभाव पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या होगी निष्पक्ष जांच? जनता में संशय और उम्मीद दोनों

इस घटना ने केवल एक आपराधिक मामला ही नहीं बल्कि पंचायत स्तर पर व्याप्त गुटबाजी और राजनीतिक सरंक्षण पर भी सवाल उठा दिए हैं। आरोपितों में कुछ प्रभावशाली नाम शामिल हैं, जिससे आम जनता की निगाहें अब पुलिस और प्रशासन की निष्पक्षता पर टिक गई हैं।

आख़िर क्यों हुआ अहियापुर में मौत का खेल? जानिए एक शांत गांव का खूनी सच

ग्रामीणों का कहना है कि यदि Ahiyapur Hatyakand मामले में कठोर और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका असर पूरे इलाके में दिखेगा। डीआईजी द्वारा दिए गए निर्देशों और प्रशासन की तत्परता से यह उम्मीद जरूर जगी है कि पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा।

अहियापुर हत्याकांड: राजनीति और अपराध के गठजोड़ पर बड़ा सवाल

अहियापुर हत्याकांड एक दुखद और गंभीर घटना है, जिसने कानून व्यवस्था की परीक्षा लेनी शुरू कर दी है। प्रशासन की ओर से अब तक की कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन जनता की उम्मीदें तभी पूरी होंगी जब दोषियों को गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाएगी। इस घटना से यह साफ है कि जब राजनीतिक प्रभाव और अपराध एक साथ पनपते हैं, तो परिणाम आम नागरिकों को भुगतना पड़ता है। अब देखना यह होगा कि पुलिस इस चुनौती से कैसे निपटती है और दोषियों को कब तक सलाखों के पीछे पहुंचाया जाता है।

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