आज पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा 990 फीट चौड़ा एस्टेरॉइड 1997 QK1, रफ्तार इतनी तेज कि सुनकर रह जाएंगे हैरान

1997 QK1 Asteroid Approach Near Earth

क्षुद्रग्रह 1997 QK1: अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए आज का दिन खास हो सकता है। बता दें कि NASA ने पुष्टि की है कि करीब 990 फीट चौड़ा एक विशाल क्षुद्रग्रह (asteroid) आज पृथ्वी के बेहद पास से गुजरने वाला है। इस क्षुद्रग्रह का नाम 1997 QK1 है और यह लगभग 21,994 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में यात्रा कर रहा है।

कितनी है Asteroid 1997 QK1 की रफ्तार और दूरी?

क्षुद्रग्रह 1997 QK1 करीब 21,994 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में सफर कर रहा है और यह हमारी पृथ्वी से लगभग 1.8 मिलियन मील (29 लाख किलोमीटर) की दूरी से गुजरेगा। गौरतलब है कि यह Aten Group का हिस्सा है, जो अक्सर पृथ्वी की कक्षा को पार करते रहते हैं। खास बात यह है कि यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी के बेहद पास से गुजरेगा, लेकिन टकराने का कोई खतरा नहीं है। दरसल नासा केवल उन्हीं क्षुद्रग्रहों को खतरनाक मानता है, जो 7.4 मिलियन किमी से कम दूरी पर आएं और 85 मीटर से बड़े हों।

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क्यों ट्रैक किए जाते हैं Asteroids?

अब कई लोग सोच सकते हैं कि जब यह क्षुद्रग्रह खतरा नहीं है, तो इसे इतना करीब से क्यों ट्रैक किया जा रहा है। ऐसे में बता दें की, वैज्ञानिकों के मुताबीक अंतरिक्ष की किसी भी वस्तु की कक्षा में हल्का सा बदलाव भी उसके भविष्य के रास्ते को पूरी तरह बदल सकता है।यही कारण है कि NASA, ISRO, ESA (European Space Agency) और JAXA (Japan Aerospace Exploration Agency) जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लगातार क्षुद्रग्रहों पर नजर रखती हैं।

बहरहाल 1997 QK1 क्षुद्रग्रह आज पृथ्वी के पास से सुरक्षित गुजर रहा है और इस से किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन यह घटना हमें याद दिलाती है कि अंतरिक्ष कितना अप्रत्याशित हो सकता है। खास बात है कि वैज्ञानिक लगातार ऐसे Asteroid close approach to Earth पर नजर रखते हैं ताकि भविष्य के खतरों को पहले से भांपा जा सके।

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ISRO और भारत की बड़ी योजना

भारत अंतरिक्ष विज्ञान में लगातार बड़ी उपलब्धियां हासिल कर रहा है। हाल ही में इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने बताया कि आने वाले समय में भारत बड़े क्षुद्रग्रहों का अध्ययन करेगा। खास बात है कि साल 2029 में Apophis Asteroid पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा और इस पर भारत भी अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ काम करने की योजना बना रहा है। बता दें कि नासा पहले से ही क्षुद्रग्रहों पर उतरकर उनके सैंपल इकट्ठा करने जैसे मिशनों पर सक्रिय है। भारत का लक्ष्य भी इस क्षेत्र में अपनी वैज्ञानिक मौजूदगी मजबूत करना है।

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