उपराष्ट्रपति चुनाव: देश के मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद देश की राजनीति में एक नई हलचल शुरू हो गई है। अब इस पद के लिए संभावित चेहरों को लेकर चर्चा तेज हो गई है। इसी कड़ी में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम एक मजबूत दावेदार (Nitish Kumar Vice President) के रूप में उभर रहा है। यह बात और रोचक तब हो जाती है जब यह सुझाव खुद जेडीयू की बजाय भाजपा के एक विधायक की ओर से सामने आता है।
Nitish Kumar Vice President: धनखड़ के इस्तीफे के बाद बढ़ी सियासी सुगबुगाहट
सोमवार को जब जगदीप धनखड़ ने अपने स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया, तब किसी ने यह अनुमान नहीं लगाया था कि अगले ही दिन नीतीश का नाम चर्चा में आ जाएगा। लेकिन पटना में भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने मीडिया से बातचीत के दौरान खुलकर कहा कि केंद्र सरकार को नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाने पर विचार करना चाहिए।
“नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की सेवा कर रहे हैं। उनके पास राजनीति का अपार अनुभव है। उन्हें अब राष्ट्रीय भूमिका निभानी चाहिए।”
– हरिभूषण ठाकुर बचौल, विधायक, भाजपा
ये भी पढ़ें: पीएम मोदी ने बिहार को दिया ₹7200 करोड़ का सौगात, जानिए किस योजना पर कितना होगा निवेश
भाजपा की रणनीति या गठबंधन की मजबूरी?
बिहार की राजनीति में भाजपा की सत्ता, हमेशा जेडीयू और नीतीश सरकार के साथ गठबंधन के माध्यम से ही संभव रही है। अकेले भाजपा कभी भी राज्य में सरकार नहीं बना सकी। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि Nitish Kumar को राष्ट्रीय राजनीति में लाकर भाजपा बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन और मजबूत करना चाहती है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर नीतीश कुमार उपराष्ट्रपति बनते हैं, तो भाजपा को बिहार में नए नेतृत्व को सामने लाने का अवसर मिलेगा। साथ ही नीतीश को सम्मानजनक भूमिका भी मिलेगी।
कैसा है नीतीश कुमार का राजनीतिक सफर?
नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति (Nitish Kumar Vice President) बनाने की चर्चा यूं ही नहीं हो रही। दरअसल नीतीश सरकार का राजनीतिक करियर 1977 के जेपी आंदोलन से शुरू हुआ था। उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे केंद्र सरकार में रेल और कृषि मंत्री रह चुके हैं। वहीं बिहार में उन्होंने सात बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उनकी छवि एक सुलझे हुए, शांत और विकासोन्मुख नेता के रूप में रही है। सदन की कार्यवाही और संवैधानिक दायित्वों की गहरी समझ उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती है।
ये भी पढ़ें: अब बिहार को मिलेगा परमाणु ताकत, बांका में लगेगा ऐतिहासिक न्यूक्लियर प्लांट
बहरहाल जहां भाजपा नीतीश को दिल्ली भेजने के संकेत दे रही है, वहीं बिहार की राजनीति में विपक्ष लगातार उन्हें निशाने पर ले रहा है। दरसल तेजस्वी यादव, जो राज्य में विपक्ष के प्रमुख चेहरा हैं, पहले ही कई बार मीडिया के सामने यह कह चुके हैं कि अब राज्य को नया नेतृत्व चाहिए। यानि की विपक्ष नीतीश कुमार की उम्र, उनके काम करने के तौर-तरीके और सुशासन के दावों पर सवाल उठा रहा है। उनके अनुसार, राज्य की जनता अब बदलाव चाहती है।
क्या बिहार की राजनीति में आएगा बड़ा मोड़?
अगर Nitish Kumar वाकई उपराष्ट्रपति पद के लिए नामित होते हैं और उसे स्वीकार करते हैं, तो यह बिहार की राजनीति में एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। इससे न सिर्फ जेडीयू को नया नेतृत्व खोजना होगा, बल्कि भाजपा के लिए यह अवसर भी हो सकता है कि वह राज्य में अपनी स्थिति को और मजबूत करे। यह भी गौर करने वाली बात है कि यह पहल JDU की ओर से नहीं, बल्कि भाजपा की तरफ से आई है। जो प्रमाणीत करता है कि भाजपा इस समय हर चाल को रणनीतिक नजरिए से खेल रही है।
ये भी पढ़ें: बिहार में शुरू हुवा चुनावी हलचल! आयोग ने जारी किया पूरा शेड्यूल, जानें बिहार में कब होगा विधानसभा चुनाव
क्या नीतीश कुमार छोड़ेंगे बिहार की कमान?
देश के मौजूदा राजनीतिक माहौल में नीतीश को उपराष्ट्रपति बनाने की चर्चा ने हलचल मचा दिया है। करीब 48 वर्षों का राजनीतिक अनुभव, केंद्र और राज्य दोनों स्तरों की समझ, और संयमित छवि उन्हें इस पद के लिए एक उपयुक्त चेहरा बनाती है। लेकिन सवाल यही है कि क्या नीतीश कुमार बिहार की मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को तैयार हैं? क्या वे दिल्ली की राजनीति में नई भूमिका निभाएंगे? वो भी ऐसे समय में जब देश को एक संतुलित उपराष्ट्रपति की जरूरत है।
ऐसे ही और महत्वपूर्ण खबरों को अपने फोन पर पाने के लिए, जुड़िए हमारे साथ —