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बक्सर में मेडिकल के नाम पर ₹5.10 लाख की अवैध वसूली, चार पुलिसकर्मी गिरफ्तार

Buxar Police Scandal

Buxar Police Scandal: बिहार के बक्सर जिले से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, जिसने पुलिस की साख पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। नव चयनित सिपाहियों से मेडिकल जांच को लेकर अवैध वसूली की जा रही थी। शुक्रवार को इसकी शिकायत मिलते ही एसपी शुभम आर्य ने तत्काल जांच का आदेश दिया। जांच में आरोप सही पाए गए और चार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

एसपी शुभम आर्य की तत्परता से खुला घोटाले का राज

बक्सर एसपी शुभम आर्य को शुक्रवार को जानकारी मिली कि कुछ पुलिसकर्मी नव चयनित सिपाहियों से मेडिकल रिपोर्ट सही करवाने के नाम पर रुपये वसूल रहे हैं। जानकारी मिलते ही एसपी ने गंभीरता दिखाई और सदर डीएसपी धीरज कुमार के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन कर दिया। कुछ ही घंटों में जांच ने चौंकाने वाले तथ्यों से पर्दा उठा दिया।

Buxar Police Scandal: मेडिकल रिपोर्ट के नाम पर लाखों की वसूली

जांच में सामने आया कि पुलिस ट्रेनिंग सेंटर (PTC) के आदित्य कुमार ने मेडिकल में अनफिट पाए गए सिपाहियों से दोबारा मेडिकल के दौरान रिपोर्ट ‘सही’ करवाने के नाम पर अवैध वसूली की। इस पूरे खेल (Buxar Police Scandal) में तीन अन्य कांस्टेबल भी शामिल थे, जो उनका सहयोग कर रहे थे। जांच टीम को आदित्य कुमार के पास से ₹3.50 लाख रुपये नकद बरामद हुए।

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साथ ही यह भी सामने आया कि ₹1.60 लाख रुपये फोन पे के माध्यम से लिए गए। यानी कुल ₹5.10 लाख रुपये की अवैध वसूली की पुष्टि हुई। जांच के बाद चारों पुलिसकर्मियों, पीटीसी आदित्य कुमार समेत तीन अन्य कांस्टेबल को गिरफ्तार किया गया। इनके खिलाफ मुफस्सिल थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई और शनिवार को इन्हें जेल भेज दिया गया। इस बात की पुष्टि स्वयं एसपी शुभम आर्य ने की।

पुलिस विभाग की छवि पर सवाल

Buxar Police Scandal मामले में जो बात सबसे ज्यादा चिंता का विषय बनी, वह यह है कि चयन प्रक्रिया जैसे संवेदनशील मामले में भी गड़बड़ी की जा रही थी। मेडिकल रिपोर्ट को गलत तरीके से ‘ठीक’ करवाने के लिए पैसे लेना न सिर्फ नैतिक रूप से गलत है, बल्कि यह पुलिस विभाग की छवि को भी गहरा नुकसान पहुंचाता है।

एसपी शुभम आर्य ने फिर दिखाया भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति

एसपी शुभम आर्य पहले भी अपनी सख्त कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं। इस बार भी उन्होंने बिना देर किए कार्रवाई की और यह साबित कर दिया कि बक्सर पुलिस भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। वहीं इस पूरी घटना के बाद आम जनता और नव चयनित सिपाहियों में यह भरोसा जगा है कि यदि गलत के खिलाफ आवाज उठाई जाए, तो न्याय जरूर मिलता है।

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बक्सर पुलिस द्वारा किए गए इस त्वरित और निर्णायक एक्शन से साफ है कि सिस्टम में सुधार की कोशिशें हो रही हैं। यह घोटाला भले ही पुलिस विभाग की काली छाया बनकर सामने आया हो, लेकिन इसकी समय पर हुई जांच और गिरफ्तारी इस बात का संकेत है कि प्रशासन अब और जवाबदेह बनने की दिशा में है।

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