|

महादेव का वह अनोखा मंदिर जहाँ एक लोटा जल से मिलता है 1108 शिवलिंगों का आशीर्वाद, माँ यशोदा की पुकार पर स्वयं प्रकट हुए थें भगवान शंकर

Chintaharan Mahadev Mandir

चिंताहरण महादेव मंदिर: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के महावन तहसील में स्थित Chintaharan Mahadev Mandir एक ऐसा पवित्र स्थान है जहाँ श्रद्धा और विश्वास साक्षात रूप में नजर आते हैं। यह मंदिर यमुना के पावन तट पर स्थित है और इसे भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से जुड़ी एक दिव्य घटना से जोड़ा जाता है। इस मंदिर की पौराणिक महिमा, धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक ऊर्जा इसे ब्रज क्षेत्र का अनोखा शिव मंदिर बनाती है।

जब बालकृष्ण के मुख में दिखा सम्पूर्ण ब्रह्मांड, काँप उठीं माँ यशोदा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब बालकृष्ण सात वर्ष के थे, तब उन्होंने मिट्टी खा ली थी। माँ यशोदा ने उनसे पूछा और जब उन्होंने अपना मुंह खोला, तो माँ को उसमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड के दर्शन हुए। यह दृश्य देखकर वे भयभीत हो गईं और बेसुध होकर भगवान शिव को पुकारने लगीं।

ऐसा कहा जाता है कि माँ यशोदा की पुकार सुनकर भगवान शिव उसी स्थान पर प्रकट हुए और उनके मन की चिंता हर ली। इसके बाद माँ यशोदा ने यमुना से एक लोटा जल लाकर शिवलिंग का जलाभिषेक किया और शिवजी से सभी भक्तों की चिंता हरने का वचन मांगा। उसी क्षण यहाँ चिंताहरण महादेव मंदिर की स्थापना हुई।

शिव महापुराण में वर्णित है मंदिर की दिव्यता

इस मंदिर की पवित्रता का उल्लेख केवल लोककथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसकी महिमा शिव महापुराण और गरुड़ संहिता जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित है। कहा जाता है कि यह मंदिर कृष्ण कालीन है, और वर्षों से यह श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।

क्या आप भी हैं झड़ते बालों से परेशान? घर पर बनाए ये आयुर्वेदिक तेल, 5 दिन में दिखेगा असर

Chintaharan Mahadev Mandir: एक लोटा जल देता है 1108 शिवलिंगों का पुण्य

Chintaharan Mahadev Mandir की सबसे खास बात यह है कि यहां केवल एक लोटा जल चढ़ाने से भक्त को 1108 शिवलिंगों पर जल अर्पण करने का पुण्य प्राप्त होता है। यह प्रतीकात्मक जलाभिषेक भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन प्रदान करता है। यह मंदिर ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा में आने वाला इकलौता ऐसा शिव मंदिर है, जहाँ भक्त शयन आरती तक जल चढ़ा सकते हैं।

 ब्रज चौरासी कोस में इकलौता शिव मंदिर, जहाँ रात तक होता है जलाभिषेक

यहां सुबह मंगल आरती से लेकर रात की शयन आरती तक पूजा-पाठ, जलाभिषेक और भक्ति का क्रम चलता रहता है। भक्तगण यहाँ आकर अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मंदिर में घंटा बजाते हैं और जब उनकी चिंता दूर हो जाती है, तो दीपक जलाकर भोलेनाथ को धन्यवाद देते हैं। यह परंपरा यहाँ आने वाले हर श्रद्धालु को भावनात्मक रूप से जुड़ने का अवसर देती है।

सावन और महाशिवरात्रि पर उमड़ता है आस्था का सागर

सावन के प्रत्येक सोमवार को मंदिर में विशेष पूजा और धार्मिक आयोजन होते हैं, जहाँ भक्तों की लंबी कतारें लगती हैं। इसके अतिरिक्त, महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर यहाँ देश और विदेश से हजारों श्रद्धालु जुटते हैं और भव्य पूजन का आयोजन होता है। यह समय मंदिर में आध्यात्मिक ऊर्जा के चरम को दर्शाता है।

नदी के ऊपर से गुजर रहा था ट्रक और कुछ ही सेकंड में हुआ खौफनाक हादसा, 11 लोगों की दर्दनाक मौत

बताया जाता है की चिंताहरण महादेव मंदिर वह स्थान है जहाँ भगवान शिव ने माँ यशोदा को वचन दिया था कि वे सदा यहाँ विराजमान रहेंगे और हर सच्चे भक्त की चिंता हर लेंगे। तभी से यह स्थान “चिंताहरण महादेव” के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

जब जीवन में कुछ भी समझ न आए, तो एक बार चिंताहरण महादेव मंदिर ज़रूर जाएं

अगर आप जीवन की किसी उलझन, तनाव या मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं, तो चिंताहरण महादेव मंदिर अवश्य जाएं। यहाँ की पवित्र ऊर्जा, दिव्यता और प्राचीनता न केवल आत्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि यह विश्वास भी जगाती है कि हर चिंता का अंत सम्भव है—बस सच्चे मन से भोलेनाथ की शरण में आना होगा।

डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और लोककथाओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल जन-जागरूकता है। कृपया किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले स्वयं विवेक या विशेषज्ञ की सलाह लें।

ऐसे ही और महत्वपूर्ण खबरों को अपने फोन पर पाने के लिए, जुड़िए हमारे WhatsApp ग्रुप और  WhatsApp चैनल से  — जय जगदंबा न्यूज – सच दिखाने का संकल्प

और पढ़ें…

खबरें और भी