Magh Gupt Navratri 2025: इस महिने सुरू होने जा रहा है साल का पहला नवरात्र, जानिए कैसे करें देवी की पूजा और महाविद्याओं का महत्व
Magh Gupt Navratri 2025: नववर्ष 2025 की शुरुआत के साथ माघ गुप्त नवरात्र का पर्व 29 जनवरी से आरंभ हो रहा है। यह विशेष नवरात्र देवी आदिशक्ति के दस महाविद्याओं की आराधना के लिए समर्पित है, जिसमें भक्त गुप्त रूप से मां की पूजा और साधना करते हैं। इस दौरान तंत्र साधक और तंत्र-मंत्र से प्रभावित लोग देवी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं।
ज्योतिष से मिली जानकारी के मुताबिक, Magh Gupt Navratri 2025 की शुरुआत माघ शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से होती है। इस वर्ष यह तिथि 29 जनवरी को शाम 6:05 बजे आरंभ होगी और 30 जनवरी को शाम 4:10 बजे समाप्त होगी।
Kalash Sthapana Muhurat: घटस्थापना का शुभ समय
Magh Gupt Navratri 2025 के लिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 30 जनवरी को सुबह 9:31 बजे से 10:51 बजे तक रहेगा। इस दौरान देवी शक्ति का आह्वान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:19 बजे से 1:02 बजे तक रहेगा। इस अवधि में देवी की पूजा और कलश स्थापना करना अत्यंत शुभ माना गया है। हालांकि, अमावस्या और रात्रिकाल में घटस्थापना वर्जित मानी गई है।
Gupt Navratri Pujan Vidhi: माघ गुप्त नवरात्र पूजा विधि
Magh Gupt Navratri में शारदीय नवरात्र के समान पूजा विधि का पालन किया जाता है, जिसमें सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूजा घर की सफाई करें। फिर एक वेदी पर देवी की प्रतिमा स्थापित करें और प्रतिपदा तिथि पर शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें। देवी को देसी घी का दीपक जलाकर गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें और सिंदूर चढ़ाएं। नौ दिनों तक देवी की आराधना के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके बाद पंचामृत, नारियल, चुनरी, फल, मिठाई आदि का भोग अर्पित करें। यह भी पढें: प्रयागराज के मंदिर में बम की सूचना, मौके पर पहुंचे बम निरोधक दस्ता, NSG और ATS की टीम
पूजा का समापन आरती से करें और इस पवित्र अवधि में तामसिक भोजन से दूर रहें। अंत में माता रानी से क्षमा मांगकर पूजा समाप्त करें। Gupt Navratri में, नौ दिनों तक देवी की आराधना के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। इस दौरान, दस महाविद्याओं की पूजा गुप्त रूप से की जाती है और नवरात्र के अंतिम दिन हवन किया जाता है, जिसमें विशेष मंत्रों से देवी की आराधना की जाती है।
Devi Adishakti ki 10 Mahavidya: देवी आदिशक्ति की दस महाविद्या
Gupt Navratri के दौरान मां आदिशक्ति के दस महाविद्याओं (Devi Adishakti ki 10 Mahavidya) —काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला—की साधना की जाती है। माना जाता है कि इन महाविद्याओं की आराधना करने से साधक को आध्यात्मिक शक्ति और तंत्र बाधाओं से मुक्ति मिलती है। थावे शक्तिपीठ जैसे प्रमुख स्थलों पर तंत्र साधक विशेष रूप से जुटते हैं और मां कामाख्या के स्वरूप की साधना करते हैं।
देवी आदिशक्ति की दस महाविद्याओं के पूजा का महत्व
दस महाविद्याओं की साधना से साधक को गहरी आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, जो उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाती है और आत्मज्ञान की प्राप्ति के साथ उनका आत्मा शुद्ध होता है। यह साधना तंत्र-मंत्र की बाधाओं से मुक्ति दिलाती है, नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करती है, और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। महाविद्याओं की पूजा से आर्थिक समृद्धि मिलती है, जो विशेष रूप से व्यापार या व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए लाभकारी होती है। इसके अलावा, यह साधना व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं का समाधान करती है, मानसिक शांति प्रदान करती है और पारिवारिक जीवन में सुख-शांति लाती है।
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जो साधक दृढ़ निश्चय से पूजा करते हैं, वे देवी की कृपा से तंत्र, मंत्र और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त करते हैं। महाविद्याओं की साधना से जीवन में सुरक्षा, समृद्धि, सुख-शांति और शत्रुओं से सुरक्षा मिलती है। यह साधना मानसिक तनाव और अवसाद को दूर कर शरीर और मन को शांति देती है। गुप्त नवरात्रि के दौरान दस महाविद्याओं की साधना विशेष महत्व रखती है।
Thave Shaktipeeth: देवी सिंहासनी का निवास स्थान माना जाता है थावे मंदिर
थावे मंदिर, जिसे देवी सिंहासनी का निवास स्थान माना जाता है, Gupt Navratri के दौरान भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस नवरात्र के दौरान थावे मंदिर में आम भक्त मां को नारियल, चुनरी, सिंदूर और पेड़ा अर्पित करते हैं। ऐसा करने से भक्तों पर मां की कृपा बनी रहती है। थावे में मां कामाख्या की साधना की परंपरा है। ऐसा कहा जाता है कि किसी समय भक्त की पुकार पर मां कामाख्या स्वयं थावे आकर सिंहासनी पर विराजमान हुई थीं। इस पौराणिक मान्यता के कारण यहां गुप्त नवरात्र में दर्शन और साधना का विशेष महत्व है।
मां सिंहासनी के दरबार में दर्शन का विशेष महत्व
Magh Gupt Navratri के दौरान मां सिंहासनी के दरबार में दर्शन करने का विशेष महत्व है, ऐसे में इस दौरान थावे मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि मां का आशीर्वाद भक्तों के सभी कष्टों को दूर करता है। गुप्त नवरात्रि मुख्यतः उन साधकों के लिए होती है जो देवी साधना के गूढ़ रहस्यों को समझने और सिद्धियां प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं। इन दिनों किए गए अनुष्ठान भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले माने जाते हैं। माघ गुप्त नवरात्र मां आदिशक्ति की कृपा प्राप्त करने के लिए अद्वितीय अवसर साबित होता है।
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