Patna High Court: बिहार में हुवे शराबबंदी को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। दरसल बिहार में लंबे समय से चले आ रहे शराबबंदी के बीच पटना उच्च न्यायालय ने महत्वपूर्ण बयान जारी किया है। Patna High Court ने इस विषय में टिप्पणी किया है कि शराबबंदी कानून ने जाने-अनजाने में अवैध शराब के व्यापार और अन्य प्रतिबंधित पदार्थों की तस्करी को बढ़ावा दिया है। न्यायालय ने कहा कि बिहार में शराबबंदी सरकारी अधिकारियों के लिए आय का एक आकर्षक स्रोत बन गया है।
Patna High Court: पुलिस वालों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुवा है शराबबंदी
आपको बता दें कि Patna High Court ने 19 अक्टूबर को पारित किए गए फैसले में, कहा कि शराबबंदी को लेकर राज्य में लागू नियम कानून, उन पुलिस वालों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुवा है, जो तस्करों के साथ मिलीभगत करते दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस संदर्भ में न्यायमूर्ति पूर्णेंदु सिंह द्वारा 13 नवंबर को 24-पृष्ठ का निर्णय उपलब्ध कराया गया।
Patna High Court: राज्य कर और परिवहन विभाग के कर्मचारी भी होते हैं लाभान्वित
एकल पीठ ने कहा कि कानून प्रवर्तन को दरकिनार करने के लिए अभिनव रणनीति अपनाई जा रही है, जिससे तस्करी के सामान के परिवहन और वितरण में सुविधा हो रही है। Patna High Court ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शराबबंदी से न केवल पुलिस और आबकारी अधिकारी, बल्कि राज्य कर विभाग और परिवहन विभाग के कर्मचारी भी लाभान्वित होते हैं, मुख्य रूप से इससे उन्हें अच्छी खासी आय होती है।
मुकेश कुमार द्वारा दायर की गई थी याचिका
आपको बता दें कि खगड़िया निवासी मुकेश कुमार पासवान द्वारा एक याचिका दायर की गई थी, जिसके जवाब में यह न्यायिक टिप्पणी दिया गया है। बता दें कि मुकेश कुमार पासवान पटना के बाईपास पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात थें, जिन्हें नवंबर 2020 में राज्य उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा शराब की एक बड़ी जब्ती के बाद उनके पद से निलंबित कर दिया गया था।
Patna High Court: बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफलता
बता दें कि पटना उच्च न्यायालय ने मुकेश कुमार पासवान के खिलाफ निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है। वहीं निलंबन को रद्द करते हुए न्यायालय (Patna High Court) ने कहा कि यह प्राकृतिक न्याय का उल्लंघन है। बता दें कि पीठ ने राज्य सरकार की बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 को प्रभावी ढंग से लागू करने में विफलता के लिए आलोचना की है, जो राज्य में शराबबंदी को नियंत्रित करता है।
इतिहास के गलत पक्ष पर खुद को पाता है राज्य
फैसले में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 47 राज्य को जीवन स्तर को बढ़ाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का आदेश देता है, जिसके कारण बिहार निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 को अधिनियमित किया गया। हालांकि, विभिन्न कारणों से, राज्य खुद को इतिहास के गलत पक्ष पर पाता है।
काफी कम है बड़े अपराधियों के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या
अदालत के एक टिप्पणी के मुताबिक, राज्य में शराब का सेवन करने वाले गरीब व्यक्तियों और अवैध शराब त्रासदी के शिकार हुए गरीब लोगों के खिलाफ दर्ज मामलों की तुलना में शराबबंदी कि अवहेलना करने वाली बड़े अपराधियों और सिंडिकेट नेताओं के खिलाफ दर्ज मामलों की संख्या काफी कम है।
कानुनी कार्यवाही से बचने का माफिया को मिलता है मौका
Patna High Court ने संकेत दिया कि राज्य के गरीब तबके के लोगों की एक बड़ी संख्या, विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूर जो अपने परिवारों के लिए मुख्य कमाने वाले हैं, इस कानून से असमान्य रूप से प्रभावित हैं। न्यालय ने कहा कि जांच अधिकारी जानबूझकर अभियोजन पक्ष के मामले में प्रस्तुत दावों को किसी भी कानूनी दस्तावेज के साथ प्रमाणित करने में विफल रहते हैं, जिसके परिणामस्वरूप माफिया को कानुनी कार्यवाही से बचने का मौका मिलता है। यह कानून द्वारा अनिवार्य उचित तलाशी, जब्ती और जांच प्रक्रियाओं की अनुपस्थिति के कारण होता है, जिससे सबूतों की कमी होती है।