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Pitru Paksha 2025: शुरू होने जा रहा है पूर्वजों का आशीर्वाद पाने का पावन पर्व पितृ पक्ष, जानें कब करें श्राद्ध और कैसे पाएं पितृ दोष से मुक्ति

Pitru Paksha 2025

Pitru Paksha 2025: हमारे हिंदू धर्म में पितृ पक्ष एक बेहद खास समय माना जाता है। इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दौरान हमारे पूर्वज (पितृ) धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस समय घरों में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण की विशेष परंपराएँ निभाई जाती हैं। गौरतलब है कि पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर से पितृ दोष भी दूर होता है। मान्यता है कि श्राद्ध से न केवल पूर्वज प्रसन्न होते हैं, बल्कि परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।

कब शुरू हो रहा है पितृ पक्ष 2025?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पितृ पक्ष 7 सितंबर 2025, रविवार को पूर्णिमा श्राद्ध से शुरू हो रहा है और 21 सितंबर 2025, रविवार को सर्वपितृ अमावस्या पर इसका समापन होगा। हालांकि हर साल की तरह इस बार भी लोगों में पितृ पक्ष की सही शुरुआत और समाप्ति की तारीख को लेकर थोड़ा भ्रम देखने को मिल रहा था, लेकिन पंचांग के अनुसार अब तिथियां स्पष्ट हो गई हैं।

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Pitru Paksha 2025: सभी श्राद्ध तिथियां

अब आइए जानते हैं इस साल के पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) की सभी श्राद्ध तिथियां –

श्राद्ध तिथि (नाम)दिनांक (2025)वार
पूर्णिमा श्राद्ध7 सितंबर 2025रविवार
प्रतिपदा श्राद्ध8 सितंबर 2025सोमवार
द्वितीया श्राद्ध9 सितंबर 2025मंगलवार
तृतीया श्राद्ध10 सितंबर 2025बुधवार
चतुर्थी श्राद्ध10 सितंबर 2025बुधवार
पंचमी श्राद्ध व महाभरणी11 सितंबर 2025गुरुवार
षष्ठी श्राद्ध12 सितंबर 2025शुक्रवार
सप्तमी श्राद्ध13 सितंबर 2025शनिवार
अष्टमी श्राद्ध14 सितंबर 2025रविवार
नवमी श्राद्ध15 सितंबर 2025सोमवार
दशमी श्राद्ध16 सितंबर 2025मंगलवार
एकादशी श्राद्ध17 सितंबर 2025बुधवार
द्वादशी श्राद्ध18 सितंबर 2025गुरुवार
त्रयोदशी व माधव श्राद्ध19 सितंबर 2025शुक्रवार
चतुर्दशी श्राद्ध20 सितंबर 2025शनिवार
सर्वपितृ अमावस्या21 सितंबर 2025रविवार

श्राद्ध करने का महत्व और विधि

पितृ पक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व है। धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है कि श्रद्धा और शांत मन से किए गए तर्पण से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। आपको बता दें कि इस दौरान अन्न, वस्त्र और धन का दान करना बेहद शुभ माना जाता है, जिससे पितृ दोष दूर होता है और परिवार में खुशहाली आती है। मान्यता है कि इस दौरान दान-पुण्य करने से न केवल परिवारिक कलह समाप्त होते हैं, बल्कि रोग, ऋण और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं से भी मुक्ति मिल सकती है।

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पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ गायत्री मंत्र का करें जाप

श्राद्ध के समय पितरों को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए पितृ गायत्री मंत्र का जाप करना बेहद लाभकारी माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि मंत्रोच्चारण के साथ अगर आस्था और श्रद्धा से श्राद्ध किया जाए, तो उसका फल कई गुना बढ़ जाता है:

  • ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
  • ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
  • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

आख़िर में आपको बता दें कि पितृ पक्ष केवल एक धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह हमारे पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का समय भी है। इस दौरान की गई पूजा और दान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। खास बात यह है कि चाहे समय कितना भी आधुनिक क्यों न हो जाए, लेकिन पितृ पक्ष की परंपराएं हमें हमारी जड़ों से जोड़ती हैं और यह बताती हैं कि पितरों का सम्मान करना क्यों जरूरी है।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, पंचांग और ज्योतिषीय आकलन पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी देना है। किसी भी निर्णय से पहले विद्वान पंडित या विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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