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आ रहा है राधा-कृष्ण भक्ति का सबसे खास दिन, जानें Radha Ashtami 2025 की तारीख, महत्व और खास बातें

Radha Ashtami 2025

Radha Ashtami 2025: आस्था, संगीत और रंगों से नहाई हुई राधा अष्टमी का दिन वह खास अवसर है, जब मंदिरों, गलियों और दिलों में राधा-कृष्ण का शाश्वत प्रेम जीवंत हो उठता है। इस दिन को देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, और इसके साथ ही बरसाना और वृंदावन जैसे पवित्र शहर भजन, शोभायात्राओं और भक्ति से जगमगाने लगते हैं। यहां तक कि देश-विदेश से श्रद्धालु इस अवसर पर जुड़ते हैं।

Radha Ashtami 2025: जानें तारीख, शुभ मुहूर्त और खास बातें

Radha Ashtami 2025 रविवार, 31 अगस्त को देशभर में धूमधाम से मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन देवी राधा का जन्म हुआ था, और भगवान कृष्ण के साथ उनके दिव्य प्रेम की स्मृति में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा का सबसे शुभ समय मध्याह्न मुहूर्त सुबह 11:05 बजे से दोपहर 1:38 बजे तक रहेगा। अष्टमी तिथि की शुरुआत 30 अगस्त रात 10:46 बजे और समापन 1 सितंबर रात 12:57 बजे होगा। ISKCON कैलेंडर के अनुसार, स्थान और चंद्र गणना के आधार पर तिथि में अंतर संभव है, इसलिए भक्त अपने स्थानीय पंचांग से समय अवश्य जांचें।

राधा अष्टमी का महत्व

राधा अष्टमी, भगवान कृष्ण की प्रिय संगिनी और शुद्ध भक्ति की प्रतीक देवी राधा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ती है और आमतौर पर अगस्त या सितंबर में आती है। इसे राधाष्टमी या राधा जयंती भी कहा जाता है। वैष्णव परंपरा में राधा को प्रेम और समर्पण का सर्वोच्च रूप माना गया है। मान्यता है कि इस दिन राधा की पूजा से आध्यात्मिक उन्नति, दांपत्य जीवन में सौहार्द और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। बरसाना और वृंदावन में इस अवसर पर भव्य भजन, कीर्तन और शोभायात्राएं आयोजित होती हैं।

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राधा अष्टमी पर कैसे होती है भक्ति और उत्सव की धूम?

राधा अष्टमी के दिन भक्त पूरे उत्साह और आस्था के साथ व्रत रखते हैं, जिसमें वे केवल फलाहार या जल ग्रहण करते हैं और पूजा पूरी होने तक उपवास करते हैं। दोपहर का समय सबसे खास माना जाता है, क्योंकि यही राधा जी का जन्मकाल है, और इसी समय मध्याह्न पूजा बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है। इस दिन मंदिरों और घरों में राधा-कृष्ण के भजन और कीर्तन गूंजते हैं, जिनमें शामिल होकर भक्त आध्यात्मिक आनंद का अनुभव करते हैं।

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कई जगहों पर भव्य शोभायात्राएं निकाली जाती हैं, जहां राधा-कृष्ण की सजी-धजी प्रतिमाएं फूलों और रंगों से सजाकर नगर भ्रमण करती हैं। ISKCON और अन्य कृष्ण मंदिरों में विशेष पूजा, प्रवचन और स्वादिष्ट प्रसाद वितरण का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ देश-विदेश से आए श्रद्धालु भी भाग लेते हैं। बरसाना और वृंदावन में तो यह नजारा और भी भव्य होता है, जहां गलियां भक्ति और रंगों से भर उठती हैं।

कहां होती है राधा अष्टमी की सबसे खास रौनक?

राधा अष्टमी की असली रौनक देखने के लिए बरसाना, वृंदावन और मथुरा से बेहतर जगह कोई नहीं। यहां त्योहार के दिन सड़कों और गलियों में फूलों की वर्षा, रंग-बिरंगे अबीर-गुलाल और भजन-कीर्तन की गूंज हर दिल को भक्ति में डुबो देती है। बरसाना में राधारानी मंदिर और वृंदावन के प्रेम मंदिर में हजारों श्रद्धालु सुबह से ही कतार में लग जाते हैं। इस दौरान शोभायात्राएं, मंदिरों की विशेष सजावट और प्रसाद वितरण का नजारा देखते ही बनता है। पंचांग के अनुसार, यह समय नई दिल्ली के मुताबिक तय किया जाता है और दिन की शुरुआत सूर्योदय से मानी जाती है।

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