India Gold Reserves: सोने से भर रही है RBI देश की तिजोरी, मार्च के अंत तक 50 टन सोना और खरिदेगा भारत
India Gold Reserves: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये के गिरते मूल्य के जवाब में अपनी सोने की खरीद बढ़ाने की रणनीति बना रहा है। संस्थान का लक्ष्य 2025 के वित्तीय वर्ष के अंत यानी मार्च महिने के अंत तक कुल 50 टन सोने का अधिग्रहण करना है। इस पहल का उद्देश्य विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करना और मुद्रा में उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिमों को कम करना है। इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट देखी गई है।
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सोने के अधिग्रहण में RBI ने लाई तेजी
RBI ने अक्टूबर से शुरू होने वाले अपने सोने के अधिग्रहण में तेजी लाई है। यह कदम स्वर्ण भंडार को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में स्थापित करता है। सितंबर के अंत तक, सोने का भंडार कुल विदेशी मुद्रा भंडार के प्रतिशत के रूप में एक ऐतिहासिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था, जिससे अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिरता में मदद मिली। पिछले पांच सालों में भारत के स्वर्ण भंडार में करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है
अप्रैल से सितंबर तक 32.63 टन सोने की खरीद
अप्रैल से सितंबर तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सफलतापूर्वक 32.63 टन सोने की खरीद की है। नतीजतन, भारत का स्वर्ण भंडार मार्च में बढ़कर 65.74 अरब डॉलर हो गया, जो पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 52.67 अरब डॉलर था। भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, कुल 324.01 मीट्रिक टन भारतीय सोना बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के पास सुरक्षित रूप से है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक, नवंबर 2024 में भारत का स्वर्ण भंडार (India Gold Reserves) 854.73 मीट्रिक टन था. इसमें से 510.46 मीट्रिक टन सोना देश के अंदर है, जबकि 324.01 मीट्रिक टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड और बैंक फ़ॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (BIS) के पास है।
बैंक ऑफ इंग्लैंड में 87 टन सोना रखा गया था गिरवी
भारत में सोना सिर्फ़ एक कीमती धातु नहीं है। यह हमारी भारतीय संस्कृति और अर्थव्यवस्था में एक अहम स्थान रखता है। यह धन, समृद्धि और स्थिरता को दर्शाता है। सोने के साथ भारत का रिश्ता बहुत पुराना है। हमारे देश में सदियों से भारी मात्रा में सोना रहा है, यही वजह है कि इसे ‘ सोने की चिड़िया ‘ कहा जाता था। वहीं इतनी मात्रा में सोने को संभालने के लिए हमेशा प्रशासन के हस्तक्षेप की ज़रूरत होती थी। बता दे कि 1991 के संकट के दौरान, ऋण प्राप्त करने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड में 87 टन सोना गिरवी रखा गया था। ऋण चुका दिए जाने के बावजूद , सोने को विदेश में ही सुरक्षित रखने का निर्णय लिया गया।