Buxar News: बिहार के बक्सर जिले में जमीन की धोखाधड़ी (Buxar Land Scam) का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां जालसाजों ने फर्जी दस्तावेज और जाली हस्ताक्षर के जरिए करोड़ों की संपत्ति की रजिस्ट्री करा ली। यह मामला तब उजागर हुआ जब पीड़ित परिवार के एक सदस्य ने मोबाइल ऐप के जरिए जमीन की स्थिति की जांच की। इस धोखाधड़ी की गंभीरता को देखते हुए टाउन थाना में प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई गई है, और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
Buxar Land Scam: कैसे हुआ जमीन घोटाले का खुलासा?
यह मामला औद्योगिक थाना क्षेत्र के दलसागर गांव का है, जहां रहने वाले लालजी सिंह की जमीन टोल प्लाजा के पास स्थित है। हाल ही में लालजी सिंह के भतीजे ने एक मोबाइल ऐप के माध्यम से जमीन की स्थिति जांची। उसने पाया कि यह जमीन किसी और के नाम पर रजिस्ट्री हो चुकी है। यह देखकर वह हैरान रह गया और तुरंत अपने चाचा लालजी सिंह को इसकी जानकारी दी।
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निबंधन कार्यालय में खुला फर्जीवाड़ा
जब लालजी सिंह ने मामले की गहराई से जांच शुरू की, तो उन्हें एक बड़ा झटका लगा। उन्होंने निबंधन कार्यालय से जानकारी ली तो पता चला कि उनकी जमीन सिमरी थाना क्षेत्र के केशोपुर निवासी संतोष यादव के नाम पर रजिस्ट्री हो चुकी है।
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जब उन्होंने वहां के उप निबंधक (सब-रजिस्ट्रार) से बात की, तो यह स्पष्ट हुआ कि फर्जी कागजातों के जरिए जमीन का सौदा कर दिया गया था। लालजी सिंह ने कार्यालय में मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों पर भी इस साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया।
टाउन थाना में मामला दर्ज, पुलिस ने शुरू की जांच
घटना की गंभीरता को देखते हुए लालजी सिंह ने टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई। जिसके बाद Buxar Land Scam के संदर्भ में थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। आरोपियों की पहचान की जा रही है। जल्द ही सभी दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बक्सर में बढ़ रहे हैं जमीन घोटाले के मामले
आए दिन बक्सर जिले में जमीन से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। फर्जी दस्तावेजों और जाली हस्ताक्षरों के जरिए संपत्तियों की खरीद-बिक्री की जा रही है। वहीं पीड़ित पक्ष को इसकी जानकारी तब मिलती है जब जमीन पर कोई तीसरा व्यक्ति दावा करता है। आपको बता दें कि कई मामलों में निबंधन कार्यालय के कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।
कैसे होती है जमीन की धोखाधड़ी?
आजकल जालसाज नई-नई तरकीबों से जमीन हड़पने के मामले अंजाम दे रहे हैं। वे जमीन मालिक के नकली हस्ताक्षर और फर्जी कागजात तैयार कर रजिस्ट्री करा लेते हैं। कई बार राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर जमीन अपने नाम करवा ली जाती है। असली मालिक को न्याय के लिए कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ते हैं, जिससे वे मानसिक और आर्थिक रूप से टूट जाते हैं। लंबी कानूनी लड़ाई से बचने के लिए कई लोग मजबूर होकर समझौता कर लेते हैं।
धोखाधड़ी से बचने के लिए क्या करें?
अगर आप भी जमीन के मालिक हैं और धोखाधड़ी से बचना चाहते हैं, तो निम्नलिखित उपाय अपनाएं –
नियमित रूप से जांचें जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड- बिहार सरकार ने भूमि रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध कराए हैं। समय-समय पर मोबाइल ऐप या वेबसाइट पर जाकर अपनी जमीन की स्थिति जांचें।
निबंधन कार्यालय से अपडेट लेते रहें- अपनी संपत्ति से जुड़ी किसी भी गतिविधि पर नजर रखें। कोई भी संदेहास्पद गतिविधि दिखे तो तुरंत शिकायत करें।
ज़मीन पर सुरक्षा बोर्ड लगाएं- जमीन पर स्पष्ट रूप से “यह संपत्ति फलां व्यक्ति की है” लिखवाएं। इससे जालसाजों को फर्जीवाड़ा करने में परेशानी होगी।
पुलिस और प्रशासन को सतर्क करें- अगर कोई धोखाधड़ी हो रही हो, तो टाउन थाना या नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत करें। कानूनी सहायता लेकर केस लड़ें और दोषियों को सजा दिलाने की कोशिश करें।
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