चंदन मिश्रा हत्याकांड: 17 जुलाई को पटना के पारस अस्पताल में दिनदहाड़े कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की हत्या (Chandan Mishra Hatyakand Case) ने न सिर्फ शहर बल्कि पूरे बिहार को हिला दिया। अस्पताल के 209 नंबर कमरे में पांच हथियारबंद बदमाश घुसे और चंदन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दीं। यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि बिहार में संगठित अपराध के नए नेटवर्क की परतें खोलने वाली कहानी बन गई है।
Chandan Mishra Hatyakand: जेल से रची थी मर्डर की प्लानिंग, STF को मिले बड़े सुराग
जांच में सामने आया है कि यह हत्या पश्चिम बंगाल की पुरुलिया जेल में बंद शेरू गैंग के सरगना शेरू सिंह द्वारा प्लान की गई थी। सूत्रों के अनुसार, शेरू ने जेल से ही तौसिफ बादशाह को 10 लाख रुपये की सुपारी देकर चंदन को खत्म करने का निर्देश दिया। बिहार STF और बंगाल STF ने मिलकर पुरुलिया जेल पहुंचकर शेरू से पूछताछ की है।
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शेरू और तौसिफ की दोस्ती बेऊर जेल में बंदी के दौरान हुई थी। जेल से छूटने के बाद भी उनका संपर्क बना रहा और यहीं से शुरू हुई इस मर्डर की खतरनाक स्क्रिप्ट। तौसिफ कुछ समय पहले जेल से बाहर निकला और फिर शेरू के कहने पर उसने चंदन की रेकी शुरू कर दी। प्राप्त जानकारी के मुताबिक हत्या से तीन दिन पहले तौसिफ समेत पांच शूटर्स पटना के समनपुरा इलाके में पहुंचे।
अस्पताल के स्टाफ से तौसिफ की थी पहचान
उन्होंने पारस अस्पताल के पीछे एक अपार्टमेंट में ठिकाना बनाया, जो स्थानीय अपराधी की मदद से हासिल किया गया था। यहां से हर दिन अस्पताल की गतिविधियों पर नजर रखी जाती रही। पुलिस को जानकारी मिली है कि अस्पताल के कुछ स्टाफ से तौसिफ की पहले से जान-पहचान थी, जिससे वारदात को अंजाम देना आसान हो गया।
हत्या के बाद पुलिस हरकत में आई। अब तक शेरू गैंग से जुड़े कई शूटर्स को गिरफ्तार किया जा चुका है। पटना पुलिस और STF की संयुक्त टीम ने कोलकाता के न्यू टाउन से तीन संदिग्धों को हिरासत में लिया है। वहीं, पुलिस की लापरवाही के चलते एक दरोगा, दो ASI और दो सिपाही को सस्पेंड भी कर दिया गया है।
मदद के लिए चीखता रहा चंदन, अस्पताल स्टाफ 15 मिनट तक रहा गायब!
चंदन मिश्रा हत्याकांड में पारस अस्पताल की भूमिका पर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं। शास्त्रीनगर थाने में दर्ज पहली FIR चंदन के पिता मंटू मिश्रा ने कराई, जिसमें उन्होंने अस्पताल के डॉक्टर पिंटू और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, चंदन को 16 जुलाई को डिस्चार्ज किया जाना था, लेकिन बिना किसी स्पष्ट कारण के तारीख को 17 जुलाई तक बढ़ा दिया गया। इसी एक दिन की देरी में चंदन की जान चली गई।
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वहीं दूसरी FIR चंदन के अटेंडेंट दुर्गेश पाठक के बयान पर दर्ज की गई, जो खुद इस हमले में घायल हुआ। दुर्गेश ने बताया कि जब शूटरों ने चंदन पर गोलियां बरसाईं, तो वह ज़ोर-ज़ोर से मदद के लिए चिल्लाता रहा। लेकिन अस्पताल का कोई भी स्टाफ करीब 15 मिनट तक मौके पर नहीं पहुंचा। इस बीच चंदन गंभीर रूप से घायल होकर तड़पता रहा। पुलिस अब इन बयानों के आधार पर अस्पताल प्रशासन से जवाब मांग रही है और डॉक्टरों व स्टाफ से पूछताछ जारी है।
बिहार STF की छापेमारी, कई जिलों में फैला नेटवर्क बेनकाब
पटना, बक्सर, आरा, गया और झारखंड के विभिन्न इलाकों में STF की छापेमारी लगातार जारी है। समनपुरा से ज़िशान सहित पांच युवकों को उठाया गया है। इसके अलावा फुलवारी और आरा में भी पुलिस ने संदिग्धों को पकड़ा, जिनमें छह लोगों की संलिप्तता की पुष्टि हुई है। यही नहीं, शूटरों को पनाह देने, हथियार और बाइक मुहैया कराने वालों से भी पूछताछ की जा रही है।
आपको बता दें की हत्या के तुरंत बाद तौसिफ अपने घर गया पहुंचा, वहां से अपनी बहन को ससुराल छोड़ने के बहाने निकला और उसके फोन से बात कर फरार हो गया। अब पुलिस तौसिफ के पिता, बहन और दो दोस्तों से पूछताछ कर रही है। समनपुरा स्थित निशु खान के घर पर भी छापेमारी की गई है।
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बहर हाल Chandan Mishra Hatyakand न केवल एक व्यक्ति की हत्या है, बल्कि यह पूरे सिस्टम पर सवाल उठाता है—चाहे वो अस्पताल की सुरक्षा हो, पुलिस की सतर्कता हो या जेलों की अंदरूनी व्यवस्था। इस केस ने ये साबित कर दिया कि अपराधी अब जेल में बंद रहकर भी अपराध की साजिश रच सकते हैं और उसे अंजाम भी दे सकते हैं।
बिहार STF, बंगाल STF और पटना पुलिस की सतर्कता से मामले में तेजी से खुलासे हो रहे हैं, लेकिन अभी भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। क्या इन बेखौफ अपराधियों को सजा मिल पाएगी? क्या अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी? यह आने वाला वक्त बताएगा।
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dhanyavaad 🙂