Chandrayaan 4: चंद्रयान 3 की सफलता के बाद भारत चांद से जुड़े एक और मिशन कि तैयारी में है। मोदी कैबिनेट ने चंद्रयान 4 मिशन को मंजूरी दे दी है। भारत एक बार फिर चांद पर अपना नया चंद्रयान भेजेगा। चंद्रयान 4, चंद्रयान 3 से बेहद अलग मिशन है।
Chandrayaan 4: नमस्कार दोस्तों, जैसा कि भारत ने चंद्रयान 3 मिशन में सफलता हासिल कर लिया है। ऐसे में अब भारत चांद से जुड़े एक और मिशन को अंजाम देने कि तैयारी में है। दरसल मोदी कैबिनेट ने शुक्र ऑर्बिटर मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च वाहन विकास योजना और चंद्रयान 4 मिशन को मंजूरी दे दी है। जिसमें से फिलहाल सबसे खास चंद्रयान 4 मिशन है। कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब भारत एक बार फिर चांद पर अपना नया चंद्रयान भेजेगा। बता दें कि चंद्रयान 4, चंद्रयान 3 से बिलकुल अलग मिशन है।
Chandrayaan 4 पर किए जाएंगे 2100 करोड़ रुपए खर्च
वहीं कहा जा रहा है कि चंद्रयान 4 भारत का अगला महत्वकांक्षी मिशन है। बता दें कि चंद्रयान 4 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से नमूने इकट्ठा कर उन्हें धरती पर लाना है। इस मिशन को पूरा करने के लिए 36 महीनों का लक्ष्य रखा गया है। इस मिशन पर करीब 2100 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। ISRO इस मिशन के जरिए उन तकनीकों का विकास भी करेगा जो भविष्य में मानव मिशन और चंद्रमा से नमूने लाने में सहायक होंगी। बता दें कि ये चंद्रयान कई मॉड्यूल और रॉकेट के साथ मिलकर बनेगा। इसमें हर एक में अलग तरह की धातुओं का इस्तेमाल होगा।
Chandrayaan 4 के होंगे 5 मॉड्यूल
बता दें कि इस चंद्रयान के 5 मॉड्यूल होंगे। जिनमें से पहला होगा प्रोपल्शन मॉड्यूल। यह चंद्रयान 3 की एलुमिनियम की मिश्रित धातु से बना होगा। इसके बाद अगला होगा डिसेंडर मॉड्यूल जिसे लैंडर कहा जाता है। यह मॉड्यूल मिट्टी परिक्षण के उपकरण को लेकर जाएगा और चांद की सतह पर घूमेगा। इसमें ऐसा उपकरण होगा जो चांद के एक दिन या पृथ्वी के 14 दिनों तक काम करते रहेगा। इसके बाद अगला मॉड्यूल होगा एसेंडर मॉड्यूल जहां पर सैंपल इकट्ठा करने के बाद यह खुद को लैंडर से अलग कर लेगा।
Chandrayaan 4 में होगा रोबोटिक आर्म
जो मॉड्यूल चांद पर नमूना इकट्ठा करेगा वह रोबोटिक आर्म का उपयोग करेगा। फिर मून की सतह से लैंडर के लॉन्च पैड का इस्तेमाल करके ऊपर उठेगा। इसके बाद है ट्रांसफर मॉड्यूल जो नमूनों का ट्रांसफर, एसेंडर से रीएंट्री मॉड्यूल में करेगा। इसके बाद खुद को अलग कर लेगा। फिर रीएंट्री मॉड्यूल, धरती पर लौटेगा। दरसल ये एक यूनिक तकनीक होगी जिसमें चंद्रयान 4 चंद्रमा पर अपने सारे काम करने के बाद उसकी सतह से उड़ान भरेगा। चंद्र कक्षा में जाएगा और वहां पहले से मौजूद मॉडयूल से जुड़ेगा। मॉड्यूल के बीच नमूनों को ट्रांसफर करेगा और उसके जरिए फिर धरती पर वापस आ जाएगा।
क्या है Chandrayaan 4 का उद्देश्य
चंद्रयान 4 मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद धरती पर वापस लौटने की तकनीकों का विकास करना है। यह मिशन चंद्रमा से नमूने इकट्ठा कर अपने साथ धरती पर लाएगा। इसरो चंद्रयान 4 के विकास और लॉन्च में लगातार लगा हुआ है। जिसमें 36 महीने में इसे पूरा कर जाने की संभावना भी है। बता दें कि ISRO चीफ S Somnath ने कहा था कि चंद्रयान 4 एक बार में लॉन्च नहीं होगा। इसे दो हिस्सों में लॉन्च किया जाएगा। इसके बाद अंतरिक्ष में इसके मॉड्यूल को जोड़ेंगे यानी यहां पर डॉकिंग करेंगे और यहीं तकनीक भविष्य में भारतीय स्पेस स्टेशन बनाने में मदद भी करेगी। चंद्रयान 4 को अंतरिक्ष में टुकड़ों में भेजकर स्पेस में ही इसे जोड़ा जाएगा। इस मिशन के जरिए ही इसरो चंद्रमा से सेंपल लेकर धरती पर वापस लौटेगा। अंतरिक्ष में मॉड्यूल को जोड़ने और अलग करने से यह फायदा होगा कि भविष्य में इस मेथड से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) बनाया जाएगा।
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