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सेबी की मंजूरी के बाद बिकने जा रहा एक और सरकारी बैंक, सरकार और LIC बेचेंगे बड़ी हिस्सेदारी; जानें कौन बनेगा नया मालिक और खाताधारकों पर क्या होगा असर

IDBI Bank Privatization Deal 2025

IDBI Bank Privatization: देश में सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया तेज होती दिख रही है। अब IDBI Bank के निजीकरण का रास्ता लगभग साफ हो गया है। बता दें कि लंबे समय से इस बैंक के लिए सरकार और एलआईसी (LIC) तैयारी कर रहे थे। हाल ही में सेबी (SEBI) ने एक बड़ी मंजूरी दी है, जिससे बैंक की हिस्सेदारी निजी हाथों में जाने की संभावना और मजबूत हो गई है। अब सवाल ये है कि IDBI Bank को कौन खरीदेगा? और खाताधारकों पर इसका क्या असर पड़ेगा?

SEBI की मंजूरी से खुला IDBI Bank Privatization का रास्ता

SEBI ने एलआईसी को IDBI बैंक के प्रमोटर शेयरहोल्डर से हटाकर पब्लिक शेयरहोल्डर के रूप में रिक्लासिफाई करने की मंजूरी दे दी है। इसका मतलब है कि अब बैंक में स्टैट्रेटजिक हिस्सेदारी बिक्री (Strategic Sale) का रास्ता खुल गया है।

  • सेबी ने साफ कर दिया है कि एलआईसी के वोटिंग राइट्स सिर्फ 10% तक ही रहेंगे।
  • LIC बैंक के बोर्ड में शामिल नहीं हो पाएगी और न ही बैंक के रोजमर्रा के कामकाज में दखल दे पाएगी।
  • बैंक के डील फाइनल होने के बाद, एलआईसी को अगले दो साल में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 15% या उससे कम करनी होगी।

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कितनी हिस्सेदारी बेचने जा रहे हैं सरकार और LIC?

IDBI Bank के निजीकरण की सबसे बड़ी डील अब लगभग तय मानी जा रही है। फिलहाल सरकार के पास बैंक में 45.48% और एलआईसी के पास 49.24% हिस्सेदारी है। यानी कुल मिलाकर करीब 60.7% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी है। बता दें कि यह प्रक्रिया 2022 से ही चल रही है, लेकिन अब इसमें तेजी आ गई है। उम्मीद है कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच औपचारिक बोली आमंत्रित की जाएगी, जिससे खरीदारों की तस्वीर साफ हो जाएगी।

IDBI Bank खरीदने की रेस में कौन-कौन दिग्गज शामिल?

IDBI Bank Privatization को लेकर खरीदारों की रेस दिलचस्प होती जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दुबई का Emirates NBD और कनाडाई अरबपति Prem Watsa इस बैंक को खरीदने में गहरी दिलचस्पी दिखा चुके हैं। बता दें कि यह डील भारत के बैंकिंग सेक्टर की सबसे बड़ी डील्स में से एक हो सकती है। हालांकि फाइनल खरीदार का नाम फाइनेंशियल बिडिंग के बाद ही साफ होगा। खास बात है कि भारतीय निजी कंपनियां भी इस रेस में शामिल हो सकती हैं।

Privatization के बाद खाताधारकों पर क्या होगा असर?

IDBI Bank Privatization के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि खाताधारकों पर इसका क्या असर पड़ेगा। बता दें कि ग्राहकों की सेविंग्स, फिक्स्ड डिपॉजिट और लोन EMI जैसी सुविधाओं पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा और आपकी जमापूंजी पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। हां, कुछ छोटे बदलाव जरूर देखने को मिल सकते हैं, जैसे नए चेकबुक डिज़ाइन, शाखाओं के पते और कुछ मामलों में नई डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत।

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बहरहाल बैंकिंग सेक्टर में पहले भी प्राइवेटाइजेशन हुए हैं और ग्राहकों को ज्यादा परेशानी नहीं झेलनी पड़ी है। जानकारों का मानना है कि इस कदम से बैंक की सेवाएं और टेक्नोलॉजी और बेहतर हो सकती हैं, जिससे खाताधारकों को भविष्य में और तेज व सुविधाजनक बैंकिंग अनुभव मिलेगा।

क्यों अहम है IDBI Bank का निजीकरण?

IDBI Bank लंबे समय से घाटे और कर्ज के बोझ से जूझ रहा है। सरकार और एलआईसी ने इसमें काफी निवेश किया, लेकिन बैंक को मजबूती देने के लिए निजी हाथों में सौंपना ही सबसे बेहतर विकल्प माना जा रहा है।

  • सरकार को उम्मीद है कि इससे बैंक की कार्यक्षमता और प्रतिस्पर्धा दोनों बढ़ेंगी।
  • निजी निवेशक आधुनिक टेक्नोलॉजी और मैनेजमेंट सिस्टम लाकर बैंक को नए स्तर पर ले जा सकते हैं।

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