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कामिका एकादशी 2025: इस बार एकादशी पर बन रहा दुर्लभ संयोग, तुलसी पूजन और विष्णु आराधना में रखें खास ध्यान

Kamika Ekadashi 2025

Kamika Ekadashi 2025: हिंदू पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि का अपना विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस बार कामिका एकादशी और भी खास हो गई है क्योंकि यह सावन सोमवार के साथ आ रही है। 21 जुलाई 2025 को पड़ने वाली यह एकादशी भक्तों के लिए एक दुर्लभ संयोग लेकर आई है, जिसमें भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों की उपासना एक ही दिन हो सकेगी। यह संयोग आध्यात्मिक उन्नति और पुण्य प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

कामिका एकादशी का महत्व

कामिका एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन एकादशी व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से सावन मास में यह व्रत और भी फलदायी माना गया है क्योंकि सावन भगवान शिव और विष्णु दोनों का प्रिय महीना है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है, लेकिन इसकी विधि का पालन करना बेहद जरूरी है।

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शास्त्रों के अनुसार, विष्णु भगवान को तुलसी पत्र अत्यंत प्रिय हैं और उनके भोग में तुलसी का अर्पण अनिवार्य माना गया है। चूंकि एकादशी के दिन तुलसी नहीं तोड़ी जाती, इसलिए 20 जुलाई को ही तुलसी के पत्ते तोड़कर सुरक्षित रखें। पूजा करते समय विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और तुलसी मंत्र “तुलसी त्वं नमोस्तुते” का जप करें। दीप प्रज्वलन के साथ शुद्ध मन से की गई यह पूजा प्रभु की कृपा दिलाती है।

कामिका एकादशी पर तुलसी पूजन का है विशेष महत्व

Kamika Ekadashi के अवसर पर तुलसी पूजन का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में तुलसी को देवी स्वरूप और भगवान विष्णु की अति प्रिय मानी गई हैं। इस दिन तुलसी पूजन करते समय कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है, जिनका उल्लंघन करने से व्रत का फल अधूरा रह सकता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन देवी तुलसी स्वयं निर्जला व्रत रखती हैं, इसलिए उन्हें स्पर्श करना वर्जित माना जाता है।

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इस दिन संध्या के समय तुलसी के समीप घी का दीपक जलाना अत्यंत पुण्यकारी होता है, जिससे घर का वातावरण भी शुद्ध होता है। तुलसी की सात बार परिक्रमा बिना छुए करनी चाहिए और “महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते” मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

कैसे रखें कामिका एकादशी व्रत?

कामिका एकादशी व्रत का पालन करने के लिए भक्तों को दशमी तिथि की रात सात्त्विक भोजन करके अगली सुबह व्रत का संकल्प लेना चाहिए। एकादशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें, तुलसी पत्र अर्पित करें और व्रत रखें। पूरे दिन फलाहार या निर्जला उपवास करके श्रीहरि का ध्यान करें। रात्रि को जागरण करना भी शुभ माना गया है। द्वादशी तिथि के दिन सुबह स्नान कर दान-पुण्य करके व्रत का पारण करें।

जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से Kamika Ekadashi का व्रत रखते हैं और तुलसी सहित भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं, उन्हें न केवल सांसारिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि उन्हें ईश्वर की विशेष कृपा भी मिलती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन के पुण्य से पिछले जन्मों के दोष भी शांत हो जाते हैं। इस व्रत से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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