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अब दुश्मन का बचना होगा नामुमकिन, भारत के ‘सुदर्शन चक्र’ का हिस्सा बनेगा S-400 Air Defence System

Sudarshan Chakra S-400 Air Defence System

Sudarshan Chakra: 15 अगस्त को लाल किले से दिए अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया कि भारत जल्द ही मिशन सुदर्शन चक्र शुरू करने जा रहा है। खास बात है कि इस बहु-स्तरीय वायु रक्षा नेटवर्क में अब दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीकों में गिना जाने वाला S-400 air defence system भी शामिल होगा। यह प्रणाली भारत की सुरक्षा को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी और किसी भी दुश्मन के मिसाइल, ड्रोन या हवाई हमले को नाकाम कर सकती है।

क्या है मिशन ‘Sudarshan Chakra’ और कैसे करेगा काम?

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में जिस सुदर्शन चक्र का जिक्र किया, वह केवल एक रक्षा कवच नहीं बल्कि एक संपूर्ण सैन्य ढांचा है। इसमें लंबी दूरी तक निगरानी करने वाले राडार, उपग्रहों से मिले इनपुट, विमान और यूएवी की सूचनाएं और सबसे अहम लॉन्ग-रेंज इंटरसेप्टर मिसाइलें शामिल हैं। सरल शब्दों में कहें तो यह प्रणाली दुश्मन की ओर से आने वाले किसी भी एरियल थ्रेट जैसे बैलिस्टिक मिसाइल, रॉकेट या ड्रोन को न केवल रोकती है बल्कि जवाबी हमला भी करती है। यही वजह है कि इसे भारत का भविष्य का “सुरक्षा कवच” कहा जा रहा है।

क्यों भारत को चाहिए था आधुनिक वायु रक्षा नेटवर्क?

यह योजना तब सामने आई जब पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत पर करीब 1000 प्रोजेक्टाइल दागे थे। इनमें बैलिस्टिक मिसाइल और हथियारबंद ड्रोन भी शामिल थे। हालांकि भारतीय सेना ने कई मिसाइलों को बीच आसमान में ही इंटरसेप्ट कर लिया और कुछ को जैमिंग तकनीक से निशाने से भटका दिया। खास बात है कि पाकिस्तान के पास अब 2200 km रेंज वाली अबाबील मिसाइल मौजूद है, जिसमें MIRV वारहेड लगे हैं। ऐसे में भारत को एक ऐसी एयर डिफेंस सिस्टम की ज़रूरत है जो हर तरह के हवाई खतरे, चाहे वह ‘Kamikaze Drone’ हो या ICBM, नाकाम कर सके।

इज़राइल के आयरन डोम से मिली बड़ी सीख

आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी साल इज़राइल ने ईरान से दागी गई 500 मिसाइलों में से 498 को Iron Dome सिस्टम से रोक दिया। यही वजह है कि भारतीय रणनीतिकारों ने सोचा कि भारत को भी एक ऐसा ही, बल्कि उससे भी उन्नत सिस्टम तैयार करना चाहिए। और यही विचार अब Sudarshan Chakra रक्षा प्रणाली में बदल रहा है।

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DRDO का ‘प्रोजेक्ट कुशा’ और भविष्य की तैयारी

भारत की सुरक्षा व्यवस्था को और मज़बूत करने के लिए DRDO का प्रोजेक्ट कुशा अहम भूमिका निभा रहा है। आपको बता दें कि कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी पहले ही इस योजना को मंजूरी दे चुकी है। इसका मकसद है 2030 तक वायुसेना और नौसेना को लॉन्ग रेंज इंटरसेप्टर उपलब्ध कराना। खास बात है कि यह सिस्टम उपग्रह, AEW&C सिस्टम और उन्नत राडार से मिले इनपुट के आधार पर दुश्मन की मिसाइलों को समय रहते नष्ट कर देगा, जिससे भारत का वायु रक्षा कवच और मजबूत होगा।

पाकिस्तान और चीन की साझेदारी से बनी मिसाइल तकनीक भारत के लिए लगातार नई चुनौतियाँ खड़ी कर रही है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने Fatah I और II मिसाइलें दागीं, जिन्हें भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने आसमान में ही नष्ट कर दिया। इतना ही नहीं, JF-17 लड़ाकू विमानों से छोड़ी गई चीनी CM 400 AKG Missile और तुर्की के Yiha ड्रोन भी भारत के सुरक्षा कवच के आगे बेअसर साबित हुए। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत को अपने एयर डिफेंस नेटवर्क को और आधुनिक बनाने की ज़रूरत है।

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सिर्फ रक्षा नहीं, अब दुश्मन पर होगा सटीक प्रहार

सुदर्शन चक्र मिशन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह केवल डिफेंस सिस्टम नहीं होगा, बल्कि इसमें आक्रामक क्षमता भी शामिल रहेगी। आपको बता दें कि भारत पहले से ही Pralay और Nirbhay Missile जैसी अत्याधुनिक परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जो दुश्मन के ठिकानों पर बेहद सटीक प्रहार करने में सक्षम होंगी। खास बात यह है कि भारतीय नौसेना को समुद्र से लंबी दूरी की मिसाइलों की आवश्यकता है, जिससे भारत हर हवाई खतरे का जवाब दुगनी ताकत से दे सके।

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