Vadodara Bridge Collapse: गुजरात के वडोदरा जिले में बुधवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई जब गम्भीरा-मुजपुर पुल का एक हिस्सा अचानक टूट गया। इस हादसे में 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। पुल के टूटते ही उस पर से गुजर रहे चार वाहन — दो ट्रक, एक बोलेरो और एक पिकअप वैन — माही नदी में जा गिरे।
सुबह के व्यस्त समय में टूटा गम्भीरा मुजपुर पुल
यह घटना वडोदरा के पादरा तालुका में हुई, जो आनंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाला एक प्रमुख मार्ग है। सुबह-सुबह जब लोग अपने काम पर जा रहे थे, तभी अचानक पुल का एक बड़ा हिस्सा ढह गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि एक तेज़ चटकने की आवाज़ सुनाई दी, और उसके कुछ ही पलों में पूरा स्ट्रक्चर नीचे गिर पड़ा। यह हादसा Vadodara bridge collapse के रूप में राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया।
राहत और बचाव कार्य में जुटा प्रशासन
वडोदरा पुल हादसा (Vadodara bridge collapse) की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड, पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं। राहत और बचाव अभियान तुरंत शुरू किया गया। नावों और क्रेनों की मदद से माही नदी में गिरे वाहनों को बाहर निकालने की कोशिशें की गईं। हालांकि, पानी की तेज़ धारा और गहराई ने बचाव कार्य को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया।
चश्मदीदों ने बयां की हादसे की डरावनी तस्वीर
हादसे के समय वहां मौजूद एक दुकानदार ने बताया, “हमने एक जोरदार आवाज़ सुनी और जब दौड़कर पुल की ओर गए, तो देखा कि चार वाहन नदी में समा चुके हैं। लोगों की चीखें और अफरा-तफरी का माहौल था।” इस भयावह दृश्य ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। अब जैसा की हर बड़े हादसे के बाद यह सवाल उठता है कि क्या यह टाला जा सकता था?
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ऐसे में आपको बता दें की गम्भीरा-मुजपुर पुल की हालत को लेकर पहले कोई चेतावनी या मरम्मत की योजना सामने नहीं आई थी। अब यह हादसा गुजरात ब्रिज दुर्घटना के इतिहास में एक और काला अध्याय जोड़ता है। स्थानीय प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्या समय रहते संरचनात्मक निरीक्षण किया गया था?
भारत में पुल हादसों का काला इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब भारत में इस तरह की त्रासदी हुई हो। देश पहले भी कई bridge collapse घटनाओं का गवाह बन चुका है, जिनमें सैकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं।
मोरबी ब्रिज हादसा – 2022
गुजरात के ही मोरबी में अक्टूबर 2022 में एक 150 साल पुराना झूला पुल गिर गया था, जिसमें 137 लोगों की जान गई थी। हादसे के समय पुल पर दिवाली की भीड़ थी और बाद की जांच में सामने आया कि पुल के केबल जंग खा चुके थे और उसे फिटनेस क्लियरेंस नहीं मिला था।
कोलकाता फ्लाईओवर हादसा – 2016
मार्च 2016 में कोलकाता में एक अधूरा फ्लाईओवर गिर गया था, जिसमें 26 लोगों की जान गई। निर्माण के दौरान दरारें देखी गई थीं, लेकिन उन्हें नज़रअंदाज कर दिया गया।
दार्जिलिंग और अरुणाचल के हादसे – 2011
दार्जिलिंग के बीजनबाड़ी में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान लकड़ी का पुल टूट गया था, जिसमें 32 लोगों की मौत हुई थी। उसके एक सप्ताह बाद अरुणाचल प्रदेश के सेप्पा में एक पैदल पुल गिरा, जिससे 30 से अधिक ग्रामीणों की मौत हुई।
भागलपुर रेलवे पुल हादसा – 2006
बिहार के भागलपुर में एक पुराना रेलवे पुल यात्री ट्रेन पर गिर पड़ा था। इस हादसे में 34 लोग मारे गए थे। पुल को आधिकारिक तौर पर ‘डिसयूज़्ड’ घोषित किया गया था लेकिन उसे हटाया नहीं गया था।
कब सुधरेगी सिस्टम की लापरवाही?
Vadodara bridge collapse जैसी घटनाएं सिर्फ एक समाचार नहीं हैं, ये हमारे सिस्टम की खामियों को उजागर करती हैं। चाहे वह रखरखाव की अनदेखी हो या निरीक्षण की प्रक्रिया में लापरवाही, इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। देशभर में सैकड़ों पुराने पुल आज भी बिना नियमित जांच के इस्तेमाल हो रहे हैं।
सरकार और संबंधित विभागों को चाहिए कि वे पुलों के रखरखाव और उनकी संरचनात्मक मजबूती को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। सिर्फ हादसे के बाद जांच शुरू करना काफी नहीं, अब एक सक्रिय और स्थायी समाधान की जरूरत है।
सिर्फ आंकड़ा नहीं, चेतावनी है वडोदरा हादसा
गम्भीरा-मुजपुर पुल का यह हादसा एक दर्दनाक अनुभव है, जिसने न सिर्फ 11 परिवारों को तबाह किया, बल्कि हमारे सिस्टम की कमजोरियों को भी उजागर किया। उम्मीद है कि यह त्रासदी केवल आंकड़ा बनकर न रह जाए, बल्कि एक चेतावनी के रूप में देखा जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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