रेलवे ने टिकट बुकिंग में फीर किया बड़ा बदलाव, अब आसानी से मिलेंगे वेटिंग टिकट, जानें नई व्यवस्था
Railway Ticket Booking New Rule: रेलवे ने आरक्षित श्रेणियों में टिकट बुकिंग के नियमों में एक और बड़ा बदलाव करते हुए यात्रियों को बड़ी राहत दी है। लंबे समय से वेटिंग टिकट की परेशानी झेल रहे यात्रियों के लिए यह नई व्यवस्था उम्मीद की किरण बनकर आई है। अब स्लीपर से लेकर एसी तक सभी श्रेणियों में वेटिंगलिस्ट टिकट जारी करने की सीमा को बढ़ा दिया गया है, जिससे “नो रूम” की समस्या काफी हद तक खत्म हो गई है।
Railway Ticket Booking New Rule: नई व्यवस्था से यात्रियों को बड़ी राहत
रेलवे की यह नई पहल सिर्फ ट्रेन के शुरुआती स्टेशन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बीच के सभी स्टेशनों पर भी इसे लागू किया गया है। इससे अब यात्रियों को हर स्टेशन से टिकट मिलने की संभावना पहले से अधिक हो गई है। अब स्लीपर और सेकेंड सीटिंग (2एस) श्रेणियों में सामान्य कोटे की तुलना में 40% अधिक वेटिंगलिस्ट टिकट जारी होंगे, जबकि सेकेंड एसी, थर्ड एसी, एसी चेयर कार व थर्ड एसी इकोनॉमी में 60% अधिक वेटिंगलिस्ट टिकट दिए जाएंगे।
वेटिंग टिकट पर लगाई गई थी सीमा, यात्रियों को हुई थी परेशानी
पिछली व्यवस्था के तहत रेलवे ने वेटिंग टिकट को 25% तक सीमित कर दिया था। इसका सीधा असर टिकट बुकिंग पर पड़ा और दो महीने पहले ही अधिकतर ट्रेनों में “नो रूम” का स्टेटस लगने लगा। इससे ना सिर्फ आम यात्रियों को परेशानी हुई, बल्कि जरूरी इलाज के लिए यात्रा करने वाले मरीजों को भी टिकट नहीं मिल पा रहे थे।
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वेल्लूर और मुंबई जाने वाले यात्रियों को मिली राहत
धनबाद-अलेप्पी एक्सप्रेस और हावड़ा-मुंबई मेल जैसी ट्रेनों में वेटिंग टिकट मिलना लगभग बंद हो गया था, जिससे वेल्लूर में इलाज के लिए जाने वाले मरीज टिकट की किल्लत से जूझ रहे थे। अब नई व्यवस्था के बाद इन ट्रेनों में अलग-अलग दिनों में वेटिंग टिकट फिर से मिलने लगे हैं, जिससे यात्रियों को राहत मिल रही है। यही हाल मुंबई जाने वालों का भी था, जिनकी यात्रा अब फिर से संभव हो पाई है।
राजधानी और दुरंतो जैसी प्रीमियम ट्रेनों में भी मिला बदलाव
अब तक राजधानी और दुरंतो एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों में वेटिंगलिस्ट की सीमा 25% थी, लेकिन अब थर्ड एसी और सेकेंड एसी में इसे 40% तक बढ़ा दिया गया है। इससे हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी, सियालदह-दिल्ली राजधानी और सियालदह-बीकानेर दुरंतो जैसी ट्रेनों में भी टिकट बुकिंग की संभावना बढ़ी है।
ऐसे समझें: पहले और अब की वेटिंग व्यवस्था में फर्क
मान लीजिए किसी ट्रेन में स्लीपर में जनरल कोटा 20 सीटों का है। पहले सिर्फ 5–6 वेटिंग टिकट ही जारी किए जाते थे। अब उसी स्लीपर श्रेणी में 40% अधिक, यानी लगभग 8 टिकट वेटिंग में मिल सकते हैं। यही बात थर्ड एसी और सेकेंड एसी पर भी लागू होती है, जहां अब 60% अधिक वेटिंग टिकट दिए जा सकते हैं।
आपको बता दें की जब वेटिंग टिकट की सीमा घटाई गई थी, तब धनबाद जैसे स्टेशनों पर टिकट बुकिंग में 20-25% तक की गिरावट देखी गई थी। जहां प्रतिदिन 700-800 टिकट जारी होते थे, वहीं यह संख्या घटकर 400-500 पर आ गई थी। लेकिन अब नियम बदलते ही बुकिंग ग्राफ फिर से ऊपर उठने लगा है, जो कि रेलवे और यात्रियों दोनों के लिए अच्छा संकेत है।
किस श्रेणी में कितनी वेटिंगलिस्ट टिकटें होंगी जारी?
श्रेणी | मेल-एक्सप्रेस | राजधानी-दुरंतो |
---|---|---|
फर्स्ट एसी | 100% | 60% |
सेकेंड एसी | 60% | 40% |
थर्ड एसी / इकोनॉमी / चेयर कार | 60% | 40% |
स्लीपर / 2एस | 40% | – |
Railway ticket booking new rule के तहत वेटिंगलिस्ट टिकटों की सीमा बढ़ाने का फैसला यात्रियों के हित में साबित हो रहा है। इससे न केवल दूर-दराज के स्टेशन से टिकट मिलने की संभावना बढ़ी है, बल्कि आम लोगों के लिए लंबी दूरी की यात्रा भी फिर से सुलभ हो गई है। रेलवे का यह कदम टिकट बुकिंग प्रणाली में लचीलापन लाकर “नो रूम” के झंझट से छुटकारा दिलाने वाला है। आगे चलकर इससे राजस्व में भी इजाफा होगा और यात्रियों की संतुष्टि भी बढ़ेगी।
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