Rising Gold Price: इस सप्ताह सोने की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला, जिसमें पहली बार $2,900 प्रति औंस का स्तर पार कर लिया गया। इस वृद्धि के पीछे वैश्विक व्यापार तनाव और अमेरिकी टैरिफ नीतियों की अनिश्चितता मुख्य कारण माने जा रहे हैं। अमेरिकी सरकार द्वारा स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर 25% टैरिफ लगाने के संकेत के बाद निवेशकों का रुझान सुरक्षित निवेश की ओर बढ़ा है, जिससे सोने की मांग तेजी से बढ़ गई।
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लेकिन क्या यह तेजी स्थायी रहेगी? कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह अल्पकालिक उछाल है और बाजार में स्थिरता आने पर कीमतों में गिरावट देखी जा सकती है। आइए जानते हैं कि Gold Price 2025 तक किस दिशा में जा सकता है।
Rising Gold Prices के पीछे के मुख्य कारण
वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका
अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ने से निवेशक अस्थिरता से बचने के लिए सोने में निवेश (Gold Investment) कर रहे हैं। जब आर्थिक संकट या भू-राजनीतिक अनिश्चितता बढ़ती है, तो सोने की कीमतों में वृद्धि देखी जाती है।
केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की बढ़ती खरीद
कई देशों के केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार में इजाफा कर रहे हैं। अमेरिका द्वारा रूस के $300 बिलियन डॉलर के फ्रीज किए गए भंडार के बाद, कई देशों ने अपने भंडार को अमेरिकी प्रतिबंधों से बचाने के लिए सोने में निवेश करना शुरू कर दिया है। इससे भी सोने का भाव (Gold Rate) लगातार बढ़ रहा है।
चीन की बढ़ती मांग
चीन दुनिया का सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है। हाल ही में चीनी केंद्रीय बैंक और निजी निवेशकों ने सोने में अपनी दिलचस्पी बढ़ाई है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की मांग (Rising Gold Prices) बढ़ी है और कीमतों में उछाल आया है
क्या 2025 में जारी रहेगी सोने की यह तेजी?
अमूमन जब अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है, तो सोने की कीमतें बढ़ती हैं। लेकिन इस बार यह पारंपरिक ट्रेंड नहीं दिख रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि सोने की मौजूदा तेजी मुख्य रूप से निवेशकों की आशंकाओं और भावनात्मक फैसलों पर आधारित है, न कि वास्तविक आर्थिक कारणों पर। अमेरिका में वित्तीय घाटा तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। ये भी पढ़ें: 7 हफ्तों की गिरावट के बाद भारत नें ली राहत की सांस, पाकिस्तान पर मंडराएं संकठ के बादल
लेकिन यह एक स्थायी प्रवृत्ति नहीं है। जैसे ही अर्थव्यवस्था स्थिर होगी, निवेशक अन्य विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे Rising Gold Prices कम हो सकती हैं। अगर लंबी अवधि के ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि होती है, तो निवेशक सोने की बजाय सरकारी बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। ऐसे में Gold Price 2025 तक धीरे-धीरे $2,750 प्रति औंस तक गिर सकता है।
निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण बातें
अगर कोई निवेशक शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग कर रहा है, तो मौजूदा Gold Price मुनाफा कमाने का एक अच्छा अवसर प्रदान कर सकती हैं। लेकिन लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स को सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि भविष्य में कीमतों में गिरावट की संभावना बनी हुई है।
कब गिर सकती हैं सोने की कीमतें?
- अगर व्यापार युद्ध की आशंका कम होती है, तो निवेशक अन्य परिसंपत्तियों की ओर रुख कर सकते हैं।
- अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाता है, तो सोने की बजाय निवेशक बॉन्ड मार्केट में पैसा लगा सकते हैं।
- अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर होती है, तो सोने की बढ़ती कीमतें धीरे-धीरे गिर सकती हैं।
Gold Price 2025: ज्यादा समय तक नहीं टिक सकती है सोने की कीमतों में यह तेजी
Gold Price $2,900 प्रति औंस के नए शिखर पर पहुंच गईं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी ज्यादा समय तक नहीं टिक सकती। वैश्विक व्यापार युद्ध, केंद्रीय बैंकों की खरीद और चीन की बढ़ती मांग ने इसकी कीमतों को ऊंचा किया है। हालांकि, यदि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में वृद्धि होती है और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता कम होती है, तो Gold Price 2025 के अंत तक गिरकर $2,750 प्रति औंस तक आ सकती है। निवेशकों को सोने में निवेश से पहले बाजार की अस्थिरता और अन्य आर्थिक कारकों का ध्यान रखना चाहिए।