Tiruppati Laddu: आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करने का विवाद और गहरा होता जा रहा है।आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर जितना अपनी रीतियों के लिए प्रसिद्ध है उतना ही लड्डू के लिए भी। देश विदेश से रोजाना आने वाले हजारों भक्त हर दिन हजारों किलो लड्डू प्रसाद के रूप में ले जाते हैं। मगर आरोप है कि हर साल जिस मंदिर में 500 करोड़ के घी का खपत होता है उसमें आखिर किसने किया है मिलावट। एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर में रोजाना 3.5 लाख लड्डू बनते हैं।
Tiruppati Laddu: नमस्कार दोस्तों, आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करने का विवाद और गहरा होता जा रहा है। बता दें कि आंध्र प्रदेश का तिरुपति बालाजी मंदिर जितना अपनी रीतियों के लिए प्रसिद्ध है उतना ही लड्डू के लिए भी है। देश विदेश से रोजाना आने वाले हजारों भक्त हर दिन हजारों किलो लड्डू प्रसाद के रूप में यहां से ले जाते हैं। मगर आरोप है कि हर साल जिस मंदिर में 500 करोड़ के घी का खपत होता है उसमें आखिर किसने और क्कियों की मिलावट। बता दें कि पिछले साल लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में ये बदलाव किया गया था। जिसके बाद से श्रद्धालुओं ने लड्डूओं की गुणवत्ता पर सवाल उठाने शुरू कर दिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर में रोजाना 3.5 लाख लड्डू बनते हैं।
वहीं इन लड्डूवों के लिए 400 से 500 किलो घी, 750 किलो काजू , 500 किलो किशमिश, और 200 किलो इलायची लगती है। लेकिन गौरतलब है कि पिछले काफी समय से श्रद्धालु, प्रसाद के स्वाद को लेकर सवाल उठाने लगे थे। श्रद्धालुओं का कहना था कि पहले प्रसाद का स्वाद ज्यादा अच्छा था। बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू (Chandra babu naidu) ने यह दावा करके सियासत को गरमा दिया है कि राज्य की पिछ्ली सरकार के दौरान तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया। दरअसल पिछले साल, नंदिनी ब्रांड से मिल्क प्रोडक्ट बनाने वाले कर्नाटक मिलक फेडरेशन ने तिरुमला बैंकटेश्वर मंदिर में घी की सप्लाई को रोक दिया था।
बता दें कि कंपनी ने घी के दाम के विवाद के चलते सप्लाई पर रोक लगा दी थी। करीब 15 साल तक साथ रहने के बाद कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने बोली प्रक्रिया से अलग हो गया था। वहीं साल 2023 में वाईएस जगनमोहन रेड्डी की सरकार के दौरान केएमएफ के अध्यक्ष भीमा नायक ने आरोप लगाया था कि टीटीडी कम गुणवत्ता वाला घी खरीद रहा है। बता दें कि केएमएफ के अध्यक्ष के बीमा नायक ने कहा था कि “हम सबसे अच्छा घी उपलब्ध कराते हैं और यह सभी गुणवत्ता जांचो से गुजरता है।
अगर कोई ब्रांड हमसे कम कीमत पर घी उपलब्ध करा रहा है तो मुझे लगता है कि घी के गुणवत्ता में समझौता किया जा रहा है।” टीटीडी ने भी माना था कि केएमएफ को साल 2021 में आखिरी बार काॅन्ट्रैक्ट दिया गया था। अब वाईएसआर, कांग्रेस सरकार पर मंदिर बोर्ड पर एक अलग ब्रांड के घी का इस्तेमाल करने का दबाव डालने और लड्डू की गुणवत्ता से समझौता करने का आरोप लग रहा है। दरअसल वर्ष 2021 में नंदिनी घी की कीमतें ₹610 प्रति किलोग्राम से बढ़ाकर ₹620 प्रति किलोग्राम की गई थी। वही टीटीडी के लिए आपूर्ति दर ₹392 से बढ़ाकर 470 रुपए कर दी गई थी। आरोप है कि टीटीडी कम कीमत पर घी खरीदने पर जोर दे रहा था। जिसके बाद कर्नाटक मिल्क फेडरेशन, घी की आपूर्ति से पीछे हट गया था। अब ऐसे में सवाल यह है कि एक तरफ जहाँ बाजार में देशी घी की शुरुआती कीमत ₹470 प्रति किलोग्राम है तो वहीं दूसरी तरफ क्या ₹470 से भी कम कीमत पर मिलने वाला घी अच्छी गुणवत्ता का देशी घी हो सकता है। अब आगे इस मामले पर क्या होता है उस पर भी हम आपको अपडेट करते रहेंगे। मगर फिलहाल तिरुपति में नंदिनी घी की आपूर्ति फिर से शुरू हो गई है।
बता दें कि आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के सत्ता में आने के बाद हालात में बदलाव हुए हैं। चंद्रबाबू नायडू (Chandra babu naidu) के लड्डू की गुणवत्ता में सुधार करने के निर्देश देने के बाद अगस्त महिने से कर्नाटक मिलक फेडरेशन ने TTD को अपने घी की आपूर्ति फिर से शुरू कर दी है। बता दें कि इस महीने नंदिनी ने ₹487 प्रति किल्लों के दाम पर 350 मेट्रिक टन घी की आपूर्ति की है। बता दें कि टीटीडी हर साल तकरीबन ₹500 करोड़ का घी खरीदती है, जिसमें से ₹250 करोड़ रुपए का घी लड्डू में ही इस्तेमाल किया जाता है। और अगर हम पूरे साल की बात करें तो करीब 1400 मेट्रिक टन घी TTD खरीदती है। वहीं अगर हम इस साल की बात करें तो इस साल पांच निजी कंपनियों को यह कांट्रैक्ट दिया गया है और उसमें से एक कंपनी कर्नाटका मिल्क फेडरेशन की नंदिनी ब्रांड भी है। बता दें कि नंदिनी घी ने इस साल कंट्रैक्ट मिलने के बाद अब तक 350 मेट्रिक टन घी कर्नाटका मिल्क फेडरेशन ने टीटीडी को सप्लाई किया है। जिसके रेट की अगर हम बाते करें तो ₹478 प्रति किलो के हिसाब से केएमएफ ने घी सप्लाई करना सुरू किया है। बता दें फिलहाल घी के ब्रांड में बदलाव के बाद तिरुपति मंदिर के लड्डू की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
ये भी पढें: Iran tweet’s on India: ईरान के सुप्रीम लीडर ने भारत के मुस्लिमों पर दिया बेतुक बयान। MEA ने दिखा दिया इरान को आइना
5 thoughts on “Tiruppati Laddu: तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी का गहराया विवाद। 500 करोड़ के घी में किसने कि मिलावट।”